Aug 9, 2017

एक बात पूछती हूँ-सुहागन १९६४

हसरत जयपुरी शंकर जयकिशन खेमे के नियमित गीतकार थे.
कभी कभार उन्होंने दूसरे संगीतकारों के लिए भी गीत लिखे.
एस डी बर्मन, मदन मोहन, सरदार मालिक और कई अन्य
संगीतकारों को उन्होंने सीमित मगर अपनी सेवाएं दी थीं और
ये सिलसिला श्वेत श्याम युग में ही ज्यादा था. उनसे लाभान्वित
होने वालों में कल्याणजी आनंदजी भी हैं.

आज सुनते हैं सन १९६४ की फिल्म सुहागन से एक गीत. इसे
लता मंगेशकर ने गाया है. बहुत दिनों से हमने मदन मोहन के
संगीत वाला और लता का गाया कोई गीत नहीं सुना है. इस पर
परदे पर माला सिन्हा होंठ हिला रही हैं. गौरतलब है माला सिन्हा
स्वयं भी गायन कला में प्रवीण थीं मगर उन्हें फिल्मों में गाने के
अवसर मिले नहीं.





गीत के बोल:

एक बात पूछती हूँ ऐ दिल जवाब देना
एक बात पूछती हूँ ऐ दिल जवाब देना
क्यों उनकी हो गयी हूँ ऐ दिल जवाब देना
एक बात पूछती हूँ

नदिया की लहरें मचल के साहिल से क्यों टकराती हैं
सावन की बिजलियाँ तड़प कर बादल में क्यों लहराती हैं
आपस में प्यार है दिल बेक़रार है
मिल के गले खो जाती है जाती है जाती है

एक बात पूछती हूँ ऐ दिल जवाब देना
हाँ दिल जवाब देना
एक बात पूछती हूँ

किसकी लगन में ये शमा हर रात दिल को जलाती है
चंदा के प्यार में चकोरी क्यों अपनी जान गँवाती है
शोलों की बाँहों में राहत की राहों में
मर के भी ज़िंदगी पाती है पाती है पाती है

एक बात पूछती हूँ ऐ दिल जवाब देना
हाँ दिल जवाब देना
एक बात पूछती हूँ

सूरज को देख के किसी की आँखें ये क्यों झुक जाती हैं
पाते ही सामने किसी को साँसें ये क्यों रुक जाती हैं
जिस दिल में चोर हो मस्ती का दौर हो
आँखें वहीं झुक जाती हैं जाती हैं जाती हैं

एक बात पूछती हूँ ऐ दिल जवाब देना
क्यों उनकी हो गयी हूँ ऐ दिल जवाब देना
एक बात पोंछती हूँ
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Ek baat poochhti hoon-Suhagan 1964

Artist: Mala Sinha

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