मारा गया ब्रह्मचारी-चित्रलेखा १९६४
फिल्माए गए हैं. विचित्र भाव भंगिमाओं वाले ऐसे गीतों का निर्माण
अब शायद संभव नहीं होगा. कुछ भाव भंगिमाएं महमूद की पेटेंट
सरीखी थीं. उनकी नक़ल कभी दिखलाई नहीं दी और ना ही आगे
देगी.
फिल्म चित्रलेखा से एक गीत सुनते हैं जिसे साहिर लुधियानवी ने
लिखा है और इसका संगीत तैयार किया है रोशन ने. इस यू ट्यूब
वाले वीडियो में तीन अंतरे हैं. बाकी के दो ऑडियो गीत में उपलब्ध
हैं.
गीत के बोल:
लागी मनवा के बीच कटारी
के मारा गया
के मारा गया ब्रह्मचारी हाय
कैसी ज़ुल्मी
कैसी ज़ुल्मी बनाई तैने नारी
के मारा गया ब्रह्मचारी
ऐसा घुँघरू पायलिया का छनका
हाय रे छनका
मोरी माला में अटक गया मनका
हाय रे मनका
मैं तो भूल प्रभु
मैं तो भूल प्रभु सुध बुध सारी
के मारा गया
के मारा गया भम्मचारी
कैसी ज़ुल्मी बनाई तैने नारी
के मारा गया ब्रह्मचारी
कोई चंचल कोई मतवाली है
मतवाली है
कोई नटखट कोई भोली भाली है
भोली भाली है
कभी देखी न थी हाय
कभी देखी न थी ऐसी फुलवारी
के मारा गया
के मारा गया ब्रह्मचारी
बडे जतनों साथ बनाई थी
बनाई थी
मोरी बरसों की पुण्य कमाई थी
कमाई थी
तैने पल में हाय
तैने पल में भसम कर डारी
के मारा गया ब्रह्मचारी
मोहे बावला बना गई वा की बतियाँ
वा की बतियाँ
अब कटती नहीं हैं मोसे रतियाँ
मोसे रतियाँ
पड़ी सर पे हाय
पड़ी सर पे बिपत अति भारी
के मारा गया
के मारा गया ब्रह्मचारी
कैसी ज़ुल्मी बनाई तैने नारी
के मारा गया ब्रह्मचारी
मोहे उन बिन कछु न सुहाये रे
न सुहाये रे
मोरे अखियों के आगे लहराये रे
लहराये रे
गोरे मुखड़े पे हाय
गोरे मुखड़े पे लट कारी कारी
के मारा गया
के मारा गया ब्रह्मचारी
कैसी ज़ुल्मी बनाई तैने नारी
के मारा गया
के मारा गया ब्रह्मचारी
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Mara gaya brahmachari-Chitralekha 1964
Artist: Mehmood
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