मुल्क में बच्चों की गर सरकार-वासना १९६८
पहले एक दिन के लिए एक बच्ची को सरकार का जिम्मा सौंपा
गया था.
सुनते हैं एक युगल गीत लता और आशा का गाया हुआ. दोनों
के गाये तकरीबन ८० युगल गीतों में से कुछ आप सुन चुके हैं
इधर. साहिर का गीत है और चित्रगुप्त का संगीत.
वैसे उम्र कोई भी हो सभी बच्चे जैसा व्यवहार कभी न कभी
करते ही हैं. देश के नेताओं को ही देख लीजिए. एक सार्थक गीत
है जिसे समय ने भुला दिया है मगर एक एक शब्द इस गीत
का आज अस्तव्यस्तता भरे मतलबी जीवन में सुधार की गुंजाईश
की नसीहत सी है.
गीत के बोल:
बड़ों का राज तो सदियों से है ज़माने में
कभी हुआ नहीं दुनिया में राज छोटों का
अगर हमें भी मिले इख्तियार ऐ लोगों
तो हम तुम्हें दिखाएँ काम काज छोटों का
मुल्क में बच्चों की गर सरकार हो
मुल्क में बच्चों की गर सरकार हो
जिंदगी एक जश्न एक त्यौहार हो
मुल्क में बच्चों की अगर सरकार हो
जिंदगी एक जश्न एक त्यौहार हो
मुल्क में बच्चों की अगर सरकार हो
हो ओ ओ ओ
जंग के मैदान में सर्कस बनायें
जंग के मैदान में सर्कस बनायें
रीछ नाचे शेर पहरेदार हो
मुल्क में बच्चों की गर सरकार हो
जिंदगी एक जश्न एक त्यौहार हो
मुल्क में बच्चों की गर सरकार हो
आ आ आ आ आ
हुक्म दें हुक्म दें ऐसे कैलेण्डर के लिये
हुक्म दें हुक्म दें ऐसे कैलेण्डर के लिये
जिसमें दो दिन बाद एक इतवार हो
मुल्क में बच्चों की अगर सरकार हो
जिंदगी एक जश्न एक त्यौहार हो
मुल्क में बच्चों की गर सरकार हो
मोती तोंदों पर लगाएं पेंच हम
मोती तोंदों पर लगाएं पेंच हम
पिचके मुंह वाला वजीफा-खार हो
कौमी दौलत से खजाने हों भरे
खुद ही ले ले जो जिसको दरकार हो
ईद दीवाली सब मिल कर मनायें
ईद दीवाली सब मिल कर मनायें
आदमी को आदमी से प्यार हो
मुल्क में बच्चों की गर सरकार हो
जिंदगी एक जश्न एक त्यौहार हो
मुल्क में बच्चों की अगर सरकार हो
सबको दें स्कूल जैसा यूनिफोर्म
सबको दें स्कोल जैसा यूनिफोर्म
एक सी हर पेंट हर सलवार हो
होस्टल तामीर हो सबके लिये
कोई भी इंसान न बेघर-बार हो
राष्ट्र भाषा हम इशारों को बनायें
राष्ट्र भाषा हम इशारों को बनायें
दक्खन उत्तर में ना फिर तकरार हो
मुल्क में बच्चों की गर सरकार हो
जिंदगी एक जश्न एक त्यौहार हो
मुल्क में बच्चों की अगर सरकार हो
हम मिनिस्टर हों तो वो सिस्टम बने
हम मिनिस्टर हों तो वो सिस्टम बने
जिसमें मुफलिस हो ना साहूकार हो
देख कर ये रंग अपने काम का
सब बड़ों के लब पे जय-जयकार हो
सात दिन में है जन्मदिन कोई हो
सात दिन में है जन्मदिन कोई हो
फिर ये दावत क्यूँ ना हफ़्तावार हो
मुल्क में बच्चों की गर सरकार हो
जिंदगी एक जश्न एक त्यौहार हो
मुल्क में बच्चों की गर सरकार हो
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Mulk mein bachchon ki gar sarkar-Vasna 1968
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