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Dec 28, 2017

मुल्क में बच्चों की गर सरकार-वासना १९६८

अगर ये सोच में हो सकता है तो वास्तविकता में भी. कुछ दिन
पहले एक दिन के लिए एक बच्ची को सरकार का जिम्मा सौंपा
गया था.

सुनते हैं एक युगल गीत लता और आशा का गाया हुआ. दोनों
के गाये तकरीबन ८० युगल गीतों में से कुछ आप सुन चुके हैं
इधर. साहिर का गीत है और चित्रगुप्त  का संगीत.

वैसे उम्र कोई भी हो सभी बच्चे जैसा व्यवहार कभी न कभी
करते ही हैं. देश के नेताओं को ही देख लीजिए. एक सार्थक गीत
है जिसे समय ने भुला दिया है मगर एक एक शब्द इस गीत
का आज अस्तव्यस्तता भरे मतलबी जीवन में सुधार की गुंजाईश
की नसीहत सी है.





गीत के बोल:

बड़ों का राज तो सदियों से है ज़माने में
कभी हुआ नहीं दुनिया में राज छोटों का
अगर हमें भी मिले इख्तियार ऐ लोगों
तो हम तुम्हें दिखाएँ काम काज छोटों का

मुल्क में बच्चों की गर सरकार हो
मुल्क में बच्चों की गर सरकार हो
जिंदगी एक जश्न एक त्यौहार हो
मुल्क में बच्चों की अगर सरकार हो
जिंदगी एक जश्न एक त्यौहार हो
मुल्क में बच्चों की अगर सरकार हो

हो ओ ओ ओ
जंग के मैदान में सर्कस बनायें
जंग के मैदान में सर्कस बनायें
रीछ नाचे शेर पहरेदार हो

मुल्क में बच्चों की गर सरकार हो
जिंदगी एक जश्न एक त्यौहार हो
मुल्क में बच्चों की गर सरकार हो

आ आ आ आ आ
हुक्म दें हुक्म दें ऐसे कैलेण्डर के लिये
हुक्म दें हुक्म दें ऐसे कैलेण्डर के लिये
जिसमें दो दिन बाद एक इतवार हो
मुल्क में बच्चों की अगर सरकार हो
जिंदगी एक जश्न एक त्यौहार हो
मुल्क में बच्चों की गर सरकार हो

मोती तोंदों पर लगाएं पेंच हम
मोती तोंदों पर लगाएं पेंच हम
पिचके मुंह वाला वजीफा-खार हो
कौमी दौलत से खजाने हों भरे
खुद ही ले ले जो जिसको दरकार हो
ईद दीवाली सब मिल कर मनायें
ईद दीवाली सब मिल कर मनायें
आदमी को आदमी से प्यार हो

मुल्क में बच्चों की गर सरकार हो
जिंदगी एक जश्न एक त्यौहार हो
मुल्क में बच्चों की अगर सरकार हो

सबको दें स्कूल जैसा यूनिफोर्म
सबको दें स्कोल जैसा यूनिफोर्म
एक सी हर पेंट हर सलवार हो
होस्टल तामीर हो सबके लिये
कोई भी इंसान न बेघर-बार हो
राष्ट्र भाषा हम इशारों को बनायें
राष्ट्र भाषा हम इशारों को बनायें
दक्खन उत्तर में ना फिर तकरार हो

मुल्क में बच्चों की गर सरकार हो
जिंदगी एक जश्न एक त्यौहार हो
मुल्क में बच्चों की अगर सरकार हो

हम मिनिस्टर हों तो वो सिस्टम बने
हम मिनिस्टर हों तो वो सिस्टम बने
जिसमें मुफलिस हो ना साहूकार हो
देख कर ये रंग अपने काम का
सब बड़ों के लब पे जय-जयकार हो
सात दिन में है जन्मदिन कोई हो
सात दिन में है जन्मदिन कोई हो
फिर ये दावत क्यूँ ना हफ़्तावार हो

मुल्क में बच्चों की गर सरकार हो
जिंदगी एक जश्न एक त्यौहार हो
मुल्क में बच्चों की गर सरकार हो
………………………………………………….
Mulk mein bachchon ki gar sarkar-Vasna 1968

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Nov 8, 2009

इतनी नाज़ुक न बनो - वासना १९६८

ये गीत कुछ संगीत भक्तों की नज़र में सबसे रोमांटिक गीत है।
कुछ की नज़र में ये नसीहत जैसा है। हीरो अपनी हिरोइन की
नजाकत पर कुछ टीका टिप्पणी कर रहा है गीत के माध्यम से।
टीका टिप्पणी साहिर की कलम से निकले हैं तो असरदार होना
स्वाभाविक है। छुई मुई सी कमनीय काया पर व्यंग्य किया गया है
सीधे सपाट शब्दों में। संगीत है चित्रगुप्त का। ये गीत आकाशवाणी और
आल इंडिया रेडियो पर खूब बजा है। फ़िल्म ज्यादा चर्चित नहीं है।



गाने के बोल:

इतनी नाज़ुक ना बनो, हाय, इतनी नाज़ुक ना बनो

हद के अन्दर हो नज़ाकत तो अदा होती है
हद से बढ़ जाये तो आप अपनी सज़ा होती है

इतनी नाज़ुक ना बनो...

जिस्म का बोझ उठाये नहीं उठता तुमसे
ज़िंदगानी का कड़ा बोझ सहोगी कैसे
तुम जो हलकी सी हवाओं में लचक जाती हो
तेज़ झोंकों के थपेड़ों में रहोगी कैसे

इतनी नाज़ुक ना बनो...

ये ना समझो के हर इक राह में कलियां होंगी
राह चलनी है तो कांटों पे भी चलना होगा
ये नया दौर है इस दौर में जीने के लिये
हुस्न को हुस्न का अन्दाज़ बदलना होगा

इतनी नाज़ुक ना बनो...

कोइ रुकता नहीं ठहरे हुए राही के लिये
जो भी देखेगा वो कतरा के गुज़र जायेगा
हम अगर वक़्त के हमराह ना चलने पाये
वक़्त हम दोनो को ठुकरा के गुज़र जायेगा

इतनी नाज़ुक ना बनो...
................................................................
Itni nazuk na bano-Vasna 1968

Artist: Bishwajeet

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Aug 3, 2009

मैं सदके जाऊं -वासना १९६८

लता मंगेशकर और कुछ संगीतकारों के ऊपर आपने
पत्रिकाओं और ब्लोग्स पर सामग्री देखी होगी। एक
संगीतकार हैं चित्रगुप्त हिन्दी फ़िल्म जगत के जिनके बारे में
फिल्मी ग्यानी और संगीत प्रेमी लिखना और जिक्र करना भूल
जाते हैं । चित्रगुप्त एक प्रतिभाशाली संगीतकार थे, जिनके बारे में
हम आगे चर्चा करते रहेंगे। फिलहाल उनका संगीतबद्ध किया एक
गीत सुनिए और देखिये । ये फ़िल्म वासना से लिया गया है जो
साहिर लुधियानवी का लिखा हुआ है। इसको स्वर साम्राज्ञी लता
मंगेशकर ने गाया है। इस फ़िल्म में विश्वजीत, पद्मिनी, राज कुमार और
सईदा खान की मुख्य भूमिकाएं हैं । गाना सुनके आपका दिल
बाग़ बाग़ हो जाएगा इतनी बढ़िया धुन है इसकी।



गाने के बोल:

मैं सदके जाऊं , मेरे सैयां
तुम आए तो हो

जिद टूट गई इनकार की
रुत जाग उठी दीदार की

तुम आज मेरे नज़दीक हो
येही जीत है मेरे प्यार की

दिल लेके ग़म देके शरमाये तो हो

मैं सदके जाऊं , मेरे सैयां
तुम आए तो हो

मैं सदके जाऊं

तू मेरा हसीं अरमान हो,
एक खोयी हुई पहचान हो

कल गैरों के मेहमान थे
आज इस घर के मेहमान हो

दुनिया के दुःख पाकर घबराए तो हो

मैं सदके जाऊं , मेरे सैयां
तुम आए तो हो

मैं सदके जाऊं

मेरे दिल पे तुम्हारा हाथ है
कैसी पिघली हुई ये रात है

कल तक जो नज़र मगरूर थी
वही शौक भरी सौगात है

तरसा के, तड़पा के पछताए तो हो

मैं सदके जाऊं , मेरे सैयां
तुम आए तो हो

मैं सदके जाऊं

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