Jan 12, 2018

नई री लगन-आलाप १९७७

हरिंद्रनाथ चट्टोपाध्याय और अशोक कुमार की जुगलबंदी आपको
अगर याद हो फिल्म आशीर्वाद में, उसके बाद आपको हृषिकेश मुखर्जी
की ही एक और फिल्म याद दिलवाते हैं जिसमें अलग अलग धारा के
ढेर सारे लोग एक छत के नीचे जमा थे-बावर्ची. अब आते हैं फिल्म
नमक हराम की ओर जिसमें दो दोस्त हैं एक अमीर एक गरीब साथ
एक मुफलिसी का शिकार शायर है.

इन तीन फिल्मों के कुछ घटक ले लीजिए और कुछ क्लासिकल संगीत
की मात्रा ज्यादा कर दीजिए, हो गया फिल्म आलाप का मसाला तैयार.
फिल्म की कहानी. इसके अलावा लेकिन और भी बहुत है इस फिल्म में
जो थोडा आम आदमी के दायें बायें से निकल जाता है. गरीबी, संघर्ष,
स्वाभिमान, संगीत और सुबह का भूला शाम को घर ये की वर्ड्स हैं इस
फिल्म को समझने के लिए. फिल्म में ओमप्रकाश और अमिताभ बच्चन
दोनों ही रूटीन से हट कर भूमिकाओं में हैं. 



गीत के बोल:

नई री लगन और मीठी बतियाँ
पिया जाने और जिया मोरा जाने सखी
किस किस बात पे धड़के छतियाँ
किस किस बात पे
किस किस बात पे
किस किस बात पे धड़के छतियाँ
किस किस बात पे धड़के छतियाँ
पिया जाने और जिया मोरा जाने सखी
नई री लगन और

बाल भी उलझे हैं सपने भी
बाल भी उलझे हैं सपने भी
दूजे लागे हैं अपने भी
हो गये हम क्यों ऐसे दीवाने
हो गये हम क्यों ऐसे दीवाने

पिया जाने और जिया मोरा जाने सखी
नई री लगन और

ऐसो चित नगर करे बरजोरी
ऐसो चित नगर करे बरजोरी
और करो जी ??????????

कागा जा जा जा जा
जा रे कागा जा
जा जा जा जा रे
जा जा जा जा रे
जा जा जा जा रे
जा रे कागा जा
ना दे मोरे पिया को संदेसवा
पिया नाहीं आये
पिया नाहीं आये
मोरे आली कैसे करे मन कब जाऊँ
पिया नाहीं आये
पिया नाहीं आये
...............................................................
Nayi ri lagan-Alaap 1977

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP