तुम अपनी याद भी दिल से-यास्मीन १९५५
ज़र्द हैं और निगाहें ग़मगीन. ये किससे गिला है किसके शिकवे
हैं. खुद से है या ज़माने से. वक्त के थपेडों ने हमें कहाँ से कहाँ
पहुंचा दिया.
तुम अपने कदमों की मिटटी भी ले जाते तो अच्छा था. नदी में
कपडे धो पानी भी ले जाते तो अच्छा था. गीत में जली कटी बजी
आहिस्ता से कहना पड़ती है.
जान निसार अख्तर की रचना है और सी रामचंद्र का संगीत. गाने
वाले हैं लता और तलत.
गीत के बोल:
तुम अपनी याद भी दिल से भुला जाते तो अच्छा था
ये दो आँसू लगी दिल की बुझा जाते तो अच्छा था
मेरे अरमाँ भी ले जाते मेरी हसरत भी ले जाते
मेरे अरमाँ भी ले जाते मेरी हसरत भी ले जाते
नज़र से छीन कर अपनी हसीं सूरत भी ले जाते
अंधेरे और इन आँखों में छा जाते तो अच्छा था
तुम अपनी याद भी दिल से भुला जाते तो अच्छा था
मेरे दिल की मुहब्बत का यक़ीं कब तुम को आया था
मेरे दिल की मुहब्बत का यक़ीं कब तुम को आया था
जहाँ सौ ज़ुल्म ढाये थे जहाँ दिल को मिटाया था
मुझे भी अपने हाथों से मिटा जाते तो अच्छा था
ये दो आँसू लगी दिल की बुझा जाते तो अच्छा था
मेरा दिल फेर दे मेरी निशानी फेरने वाले
मेरा दिल फेर दे मेरी निशानी फेरने वाले
जो मुमकिन हो तो लौटा दो मेरी आहें मेरे नाले
जो मुमकिन हो तो लौटा दो मेरी आहें मेरे नाले
हम अपने दिल का खोया चैन पा जाते तो अच्छा था
ये दो आँसू लगी दिल की बुझा जाते तो अच्छा था
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Tum apni yaad bhi dil se bhula-Yasmin 1955
Artists: Suresh, Vaijayantimala
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