जागी बदन में ज्वाला-इज़्ज़त १९६८
गाने रहे और काफी लंबे समय तक निरंतर बजते रहे.
किसी किसी गाने में कुछ ज्योमेट्री की थ्योरम की तरह
मुखड़े की पंक्तियाँ ४-५ बार रिपीट होती हैं. ये ट्रेंड शुरू
हो गया था ६० के दशक में और इसे ९० के दशक के
कुछ संगीतकारों ने आगे बढ़ाया अपनी ड्यूटी समझ कर.
सुनने वालों के दिमाग पे इतना जोर डाल दो कि एक
ज्वाला उसके मन में भी उठ जाये. अरे गीत सुनिए,
कहाँ उलझ गए. हम तो बस यूँ ही...
साहिर के बोल हैं और लक्ष्मी प्यारे का संगीत. इसे
लता मंगेशकर गा रही हैं जयललिता के लिये. इस
गीत में टाला, बखेड़ा और खटकूं ऐसे शब्द हैं जिन्हें
दूसरे गीतकार प्रयोग में नहीं लाते थे.
गीत के बोल:
जागी
जागी बदन में ज्वाला सैयां तूने क्या कर डाला
जागी बदन में ज्वाला सैयां तूने क्या कर डाला
जागी बदन में ज्वाला सैयां तूने क्या कर डाला
जागी बदन में ज्वाला सैयां तूने क्या कर डाला
मना मना कर हारी माने नहीं मन मतवाला
बैरी तूने हठ ना छोड़ी मैंने तुझे कितना टाला
जागी बदन में ज्वाला सैयां तूने क्या कर डाला
जागी बदन में ज्वाला सैयां तूने क्या कर डाला
आते जाते राहों में छेड़ा
इन्हीं तेरी बातों से पड़ा ये बखेड़ा
आते जाते राहों में छेड़ा
इन्हीं तेरी बातों से पड़ा ये बखेड़ा
अच्छी दी पहचान तेरे दो नैनों ने
अच्छी दी पहचान तेरे दो नैनों ने
अरे घायल कर दी जान तेरे दो नैनों ने
हूँ ऊं ऊं ऊं ऊं
हो ओ ओ ओ ओ ओ
जागी बदन में ज्वाला सैयां तूने क्या कर डाला
हूँ जागी बदन में ज्वाला सैयां तूने क्या कर डाला
रूठे मेरी आँखों से सपने
हुए तेरे ख्वाब में दिन थे जो अपने
रूठे मेरी आँखों से सपने
हुए तेरे ख्वाब में दिन दी जो अपने
अबसे पहले हाल न ऐसा देखा था
अबसे पहले हाल न ऐसा देखा था
अरे सोलह साल में साल न ऐसा देखा था
हूँ ऊं ऊं ऊं ऊं
हो ओ ओ ओ ओ ओ
जागी बदन में ज्वाला सैयां तूने क्या कर डाला
जागी बदन में ज्वाला सैयां तूने क्या कर डाला
तेरे लिये रातो को भटकूं
आते जाते लोगो की नज़रो में खटकूं
तेरे लिये रातो को भटकूं
आते जाते लोगो की नज़रो में खटकूं
कैसी हलचल डाली मेरी जवानी में
कैसी हलचल डाली मेरी जवानी में
अरे जुल्मी तूने आग लगा दी पानी में
हूँ ऊं ऊं ऊं ऊं
हो ओ ओ ओ ओ ओ
जागी बदन में ज्वाला सैयां तूने क्या कर डाला
हूँ जागी बदन में ज्वाला सैयां तूने क्या कर डाला
मना मना कर हारी माने नहीं मन मतवाला
बैरी तूने हठ ना छोड़ी मैंने तुझे कितना टाला
जागी जागी
जागी बदन में ज्वाला सैयां तूने क्या कर डाला
जागी बदन में ज्वाला सैयां तूने क्या कर डाला
जागी बदन में ज्वाला सैयां तूने क्या कर डाला
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
………………………………….
Jaagi badan mein jwala-Izzat 1968
Artists: Jayalalita, Dharmendra
0 comments:
Post a Comment