मंजिल थी कहीं जाना था कहीं-राम तेरे कितने नाम १९८५
उतना शायद किसी अभिनेत्री ने नहीं. ये संयोग ही है कि
जितने भावों के रंग और उतार चढ़ाव उनके अभिनय में
दिखाई देते हैं वो अधिकाँश जिंदगी में भी उतर आये. ये
ज़रूर है उन्होंने वाटर या फायर जैसी किसी फिल्म में काम
नहीं किया.
एक गीत है ज़मीन आसमान का जिसमें वो एक दुधमुंहे
बच्चे को ले कर एक करुण स्वर वाला गीत गा रही हैं. ये
उनके जीवन का अभाव उस गीत में भी झलकता है.
राम तेरे कितने नाम फिल्म में उनके साथ संजीव कुमार
प्रमुख नायक हैं. फिल्म में विनोद मेहरा भी मौजूद हैं जो
कहानी के अनुसार फिल्म में उनके पति बने हैं. दोनों के
संबंधों में खटास है. फिल्म का प्रमुख नायक कहानी के
अंत तक अपने त्याग और समर्पण से इस खटास को दूर
कर देता है.
गीत के बोल:
मंजिल थी कहीं जाना था कहीं
तकदीर कहाँ ले आई है
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Manzil thi kahin jaana tha kahin-Ram tere kitne naam 1985
Artist: Rekha
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