पानी की बूँद ऐसी छुई-मेरे सजना १९७५
पर बोलते सुना होगा. इन्हें गीतों में भी हमने काफ़ी
सुन लिया है. हम नये गीतों की बात नहीं कर रहे हैं
जनाब और जनाबियों, ये पुराने गानों की बात चल
रही है. नये गीत तो डिक्शनरी को अपग्रेड करने का
काम कर रहे हैं. कमबख्त हिंदी के भी एब्रिवेशन
आ गये- भू चू ले दे(भूल चूक लेनी देनी)
सन १९७५ की फिल्म मेरे सजना से अगला गीत
सुनते हैं जो कहानी की मांग के अनुसार ही है.
नायिका कई दिन से नहाई नहीं है अतः वो पोखर
में डुबकी लगा लगा के नहा रही है. पीपिंग टॉम
जो कि फिल्म का नायक हैं, खड़ा हैं पेड़ के पीछे.
झरना भी बह रहा है और झरने का पानी काफ़ी
साफ़ और लाभदायी माना जाता है.
नायक नायिका की शादी हो चुकी है और अभी तक
कहानी के अनुसार दोनों का मिलन नहीं हुआ है.
गीत के प्रणय निवेदन के बाद दोनों का मिलाप इस
गीत के तुरंत बाद होता है.
मजरूह सुल्तानपुरी की रचना है और लता मंगेशकर
की आवाज़. लक्ष्मी प्यार की धुन है.
गीत के बोल:
पानी की बूँद ऐसी ऐसी छुई
उई उई
जैसे चुभ गयी सुई
मैं जवान हुई
मैं मैं जवान हुई
ठन्डे ठन्डे पानी में जले मेरा तन
तड़प रहा लह्तों के तले मेरा तन
कोई मुझे दखो रे मैं क्या गई बन
ठन्डे ठन्डे पानी में जले मेरा तन
मेरी जान गई दैया जान गई
हाय हाय जान गई
मैं जवान हुई
मैं मैं जवान हुई
मैं तो यही समझी थी पवन है अनजान
जगा रही धडकन में मिलन के अरमान
उठा रही नस नस में अजब से तूफ़ान
मैं तो यही समझी थी पवन है अनजान
वो पहचान गई लो पहचान गई
हो पहचान गई
मैं जवान हुई
मैं मैं जवान हुई
लहर अरी चंचल न पकड़ मेरा हाथ
मचल नहीं पागल मैं समझ गई बात
यही लागे ऐसे ऐसे में होता कोई साथ
लहर अरी चंचल न पकड़ मेरा हाथ
जा रे मान गई दैया मान गई
हाय हाय मान गई
मैं जवान हुई
पानी की बूँद ऐसी ऐसी छुई
उई उई
जैसे चुभ गयी सुई
मैं जवान हुई
मैं मैं जवान हुई
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Paani ki boond aisi chhui-Mere Sajna 1975
Artist: Rakhi, Neveen Nishchal
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