वतन की माटी हाथ में लेकर-गाँव १९४७
हुआ था. आजादी के पूर्व कुछ सालों में और आजादी के कुछ
साल बाद तक ऐसी फ़िल्में और गीत काफी बने जो देशभक्ति के
भावों को बढ़ाने का काम करते हैं.
सुनिए गाँव फिल्म से एक गीत मुकेश और गीता दत्त की आवाजों
में. संदेशात्मक गीत रचा है दीनानाथ मधोक ने और इसकी धुन
तैयार की हैं खेमचंद प्रकाश ने.
गीत के बोल:
वतन की माटी हाथ में लेकर माथे तिलक लगा लो
वतन की माटी हाथ में लेकर माथे तिलक लगा लो
जिस माटी ने जनम दिया उस माटी के गुण गा लो
जिस माटी ने जनम दिया उस माटी के गुण गा लो
वतन की माटी हाथ में लेकर माथे तिलक लगा लो
माटी हो के सोना उगले
माटी हो के सोना उगले ये सोना वो सोना है
ये सोना वो सोना है
चोर चुराए डाकू लूटे खतम कभी नहीं होना है
ऐसी प्यारी दौलत को
ऐसी प्यारी दौलत को तन मन से अपना लो
जिस माटी ने जनम दिया उस माटी के गुण गा लो
जिस माटी ने जनम दिया उस माटी के गुण गा लो
ग़ैरों ने बाहर से आ के
ग़ैरों ने बाहर से आ के
पेट भरे यहाँ अपने
पेट भरे यहाँ अपने
सुख की नींद सदा वो सोये देखे सुख के सपने
सुख की नींद सदा वो सोये देखे सुख के सपने
बन्द करो अब घर के द्वारे
बन्द करो अब घर के द्वारे घर को आज संभालो
जिस माटी ने जनम दिया उस माटी के गुण गा लो
जिस माटी ने जनम दिया उस माटी के गुण गा लो
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Watan ki maati haath mein le kar-Gaon 1947
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