Sep 14, 2019

आज मै देखूँ जिधर जिधर-डोली १९६९

सावन के अंधे को हरा हरा ही सूझता है. प्यार अंधा
होता है. अन्धों का हाथी बहुत बड़ा होता है. एक शब्द
है एबरेशन.

प्यार में मूली के पत्ता भी पालक नज़र आते हैं इसलिए
इस बात में कहानी की नायिका का कोई दोष नहीं कि
उसे दो दो चंद क्यूँ नज़र आने लगे.

प्यार के बुखार का का कन्फर्मेशन करने के लिए गाने
के बोल भी ऐसे होना चाहिए जो इस बात की पुष्टि करें.

गीत राजेंद्र कृष्ण का है और संगीत रवि का. इसे गा
रही हैं आशा भोंसले.



गीत के बोल:

आज मैं देखूं जिधर जिधर ना जाने क्यूँ उधर उधर
मुझे दो दो चाँद नज़र आयें मेहताब दर मेहताब
आज मैं देखूं जिधर जिधर ना जाने क्यूँ उधर उधर
मुझे दो दो चाँद नज़र आयें मेहताब दर मेहताब

मत छेड़ पवन मेरे गेसू अब और किसी की है ये खुशबू
मत छेड़ पवन मेरे गेसू अब और किसी की है ये खुशबू
देखा है कभी तूने भी उसे जो कर गया मुझपे जादू

आज मैं देखूं जिधर जिधर ना जाने क्यूँ उधर उधर
मुझे दो दो चाँद नज़र आयें मेहताब दर मेहताब

आज मैं देखूं जिधर जिधर ना जाने क्यूँ उधर उधर
मुझे दो दो चाँद नज़र आयें मेहताब दर मेहताब

बदला बदला है ज़माना हर साथ है एक तराना
बदला बदला है ज़माना हर साथ है एक तराना
क्यूँ मुझको यकीं आता ही नहीं ये सच है या ख्वाब सुहाना

आज मैं देखूं जिधर जिधर ना जाने क्यूँ उधर उधर
मुझे दो दो चाँद नज़र आयें मेहताब दर मेहताब

आँखों में कटेंगी न रातें अब होंगी किसी से बातें
आँखों में कटेंगी न रातें अब होंगी किसी से बातें
आयेगा कोई लायेगा कोई अब रंग भरी बरसातें
आज मैं देखूं जिधर जिधर ना जाने क्यूँ उधर उधर
मुझे दो दो चाँद नज़र आयें मेहताब दर मेहताब
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Aaj main dekhoon jidhar-Doli 1969

Artist: Babita

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