Sep 2, 2019

आपकी महकी हुई ज़ुल्फ़ को-त्रिशूल १९७८

सन १९७८ की फिल्म त्रिशूल एक बहुसितारा और चर्चित
फिल्म है. इसमें बड़े सितारे मौजूद हैं. वहीदा रहमान ने
जो इक दुक्का फिल्मों में अमिताभ बच्चन की नायिका
रह चुकी हैं, उनकी माँ का रोल किया है. सन १९८३ की
फिल्म ‘महान’ इस मामले में उससे भी महान है.

गीत युवा संजीव कुमार पर फिल्माया गया है. उनके साथ
वहीदा रहमान इस रोमांटिक गीत को गा रही हैं. गीतकार
ने भी क्या खूब लिखा है-ऐसी बातें ना करो जिनका यकीं
मुश्किल हो. निर्देशक ने भले ही कम उम्र के संजीव के
साथ वहीदा की जोड़ी बना दी हो, गीतकार ने इस बात
पर ज़रूर गौर किया है. आठ साल पहले की फिल्म धरती
में वे राजेंद्र कुमार के साथ नायिका थीं. उसके अलावा
बढती उम्र में जुल्फें पतली होती चलती हैं. इसलिए घनी
शब्द का उपयोग नहीं है. है ना सेफ लिरिक्स.

खैर नायक जो आगे चल के बालों में सफेदी लगाने वाला
है फिल्म में, उसके लिए आवाज़ का ध्यान पहले से रखा
गया है. एक मैच्योर्ड वोईस अर्थात येसुदास की आवाज़
का प्रयोग किया गया है. फिल्म में आगे चल के एक और
गीत में येसुदास की आवाज़ आती है चंद पंक्तियों के लिए.

गीत सुनते हैं जिसे साहिर लुधियानवी ने लिखा है और
इसका संगीत खय्याम ने तैयार किया है.




गीत के बोल:


आपकी महकी हुई ज़ुल्फ़ को कहते हैं घटा
आपकी महकी हुई ज़ुल्फ़ को कहते हैं घटा
आपकी मदभरी आँखों को कंवल कहते हैं
आपकी मदभरी आँखों को कंवल कहते हैं
मैं तो कुछ भी नहीं तुमको हसीं लगती हूँ
इसको चाहत भरी नज़रों का अमल कहते हैं
इसको चाहत भरी नज़रों का अमल कहते हैं

एक हम ही नहीं
एक हम ही नहीं सब देखने वाले तुमको
संगे मरमर पे
संगे मरमर पे लिखी शोख ग़ज़ल कहते हैं
संगे मरमर पे लिखी शोख ग़ज़ल कहते हैं

ऐसी बातें न करो
ऐसी बातें न करो जिनका यकीं मुश्किल हो
ऐसी तारीफ को
ऐसी तारीफ को नीयत का खलल कहते हैं
ऐसी तारीफ को नीयत का खलल कहते हैं
आपकी मदभरी आँखों को कंवल कहते हैं
इसको चाहत भरी नज़रों का अमल कहते हैं

मेरी तकदीर के तुमने मुझे अपना समझा
मेरी तकदीर के तुमने मुझे अपना समझा
इसको सदियों की
इसको सदियों की तमन्नाओं का फल कहते हैं
इसको सदियों की तमन्नाओं का फल कहते हैं
इसको सदियों की तमन्नाओं का फल कहते हैं
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Aapki mehki hui zulf ko-Trishul 1978

Artists: Sanjeev Kumar, Waheeda Rehman

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