एक बार रख दे कदम ज़रा झूम के-मेला १९७१
जीवन के मेले में हंसी खुशी के पल निकालना और समझना
कठिन काम है. हंसी खुशी के पल पलक झपकते ओझल होने
को आतुर रहते हैं. इन्हें बिताना एक कला है.
गीत फिल्माया गया है संजय खान और मुमताज़ पर. लता
और रफ़ी के गाये इस युगल गीत को मजरूह ने लिखा है और
इसकी धुन तैयार की है पंचम ने.
गीत के बोल:
एक बार रख दे कदम ज़रा झूम के
एक बार चल दे तू धरती को चूम के
रास्ता तेरा है मंजिल तेरी है
एक बार रख दे कदम ज़रा झूम के
एक बार चल दे तू धरती को चूम के
रास्ता तेरा है मंजिल तेरी है
एक बार रख दे कदम ज़रा झूम के
सूरज कितना जवान है कितना हसीं है ये उजाला
गलियां कब से पुकारे आये कोई दिलवाला
राही राही ये दिन कैसा मतवाला
एक बार रख दे कदम ज़रा झूम के
एक बार चल दे तू धरती को चूम के
रास्ता तेरा है मंजिल तेरी है
हिम्मत वाले चला चल नीले अम्बर के साये साये
कबसे तुझको निहारे धरती चुनरिया बिछाये
यूँ चल यूँ चल के दुनिया तेरे पीछे पीछे आये
एक बार रख दे कदम ज़रा झूम के
एक बार चल दे तू धरती को चूम के
रास्ता तेरा है मंजिल तेरी है
एक बार चल दे तू धरती को चूम के
जीना चाहे तो जग में जीवन मिला ना उसे कैसे
ऐसे आँचल उड़ाओ नाचे सावन रुत जैसे
सुन लो सुन लो घुँघरू बोले कैसे कैसे
एक बार रख दे कदम ज़रा झूम के
एक बार चल दे तू धरती को चूम के
रास्ता तेरा है मंजिल तेरी है
एक बार चल दे तू धरती को चूम के
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Ek baar rakh de kadam-Mela 1971
Artist: Sanjay Khan, Mumtaz
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