कमर पतली नज़र बिजली-कहीं दिन कहीं रात १९६८
पर २-३ ही थे. धीरे धीरे संख्या बढ़ी और रंग बिरंगी साइटें
उगना शुरू हुयीं और उन लिरिक्स की अंग्रेजी वाली साइटों
की चकाचौंध में हमारा ब्लॉग कहीं दब सा गया.
सारी मक्खियाँ एक ही जगह जा के चिपकें तो आश्चर्य होता
है. जब इन्डियन क्रिकेट टीम में २-३ विकेट जल्दी जल्दी
गिर जायें तो बाकियों को भी दस्तें लग जाती हैं तब उतना
अचरज नहीं होता.
सुनते हैं फिल्म कहीं दिन कही रात से एक गीत महेंद्र कपूर
की आवाज़ में. एस एच बिहारी के बोल हैं और ओ पी नैयर
का संगीत.
गीत के बोल:
कमर पतली नज़र बिजली
सुराहीदार गर्दन
क़यामत से में जन कम नहीं हो
कमर पतली नज़र बिजली
सुराहीदार गर्दन
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Kamar patli-Kahin din kahin raat 1968
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