उड़ के पवन के रंग चलूंगी-शागिर्द १९६७
हो, उसकी उपस्थिति जीवन के हर पहलू के मायने बदल
देती है. उसके बिना इस सृष्टि का हर रंग अधूरा है.
सुनते हैं लता मंगेशकर का गाया एक लोकप्रिय गीत
फिल्म शागिर्द से. सायरा बानू पर फिल्माया गया ये
गीत पर्यावरण प्रेमी गीत है जिसमें आप हरियाली से
भरपूर दृश्यों का आनंद उठाएंगे. साथ में फिल्म के
नायक के दर्शन फ्री हैं.
गीत मजरूह सुल्तानपुरी का है और इसकी धुन तैयार
की है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने.
गीत के बोल:
हो ओ ओ ओ ओ
रुक जा रुक जा रुक जा
उड़ के पवन के रंग चलूंगी
मैं भी तिहारे संग चलूंगी
रुक जा ए हवा थम जा ए बहार
रुक जा ए हवा थम जा ए बहार
उड़ के पवन के रंग चलूंगी
मैं भी तिहारे संग चलूंगी
रुक जा ए हवा थम जा ए बहार
रुक जा ए हवा थम जा ए बहार
पर्वत पर्वत तेरी महक है
लट मेरी भी दूर तलक है
देखो रे डाली डाली
देखो रे डाली डाली खिली मेरे तन की लाली
हो ओ ओ ओ ओ रुक जा
जो तू है वही मैं हूँ
रुक जा ए हवा थम जा ए बहार
रुक जा ए हवा थम जा ए बहार
हो ओ ओ हो ओ ओ
देख ज़रा सा तू मुझे छू के
पग पग से हैं बिन घुँघरू के
जो तेरी ताल में है
जो तेरी ताल में है वही मेरी चाल में है
हो ओ ओ ओ ओ रुक जा
मैं हिरनिया मैं चकोरी
रुक जा ए हवा थम जा ए बहार
रुक जा जा ए हवा थम जा ए बहार
झरना दर्पण ले के निहारे
बूंदों का गहना तन पे सँवारे
लहरें झूला झुलायें
लहरें झूला झुलायें मेरे लिए गीत गायें
हो ओ ओ ओ ओ रुक जा
पनघट की मैं हूँ गोरी
रुक जा ए हवा थम जा ए बहार
उड़ के पवन के रंग चलूंगी
मैं भी तिहारे संग चलूंगी
रुक जा ए हवा थम जा ए बहार
रुक जा ए हवा थम जा ए बहार
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Ud ke pawan ke sang chaloongi-Shagird 1967
Artists: Saira Bano, Joy Mukherji
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