Oct 29, 2019

मेरी महबूबा आज मेरे घर-फरेब १९६८

दीपों का पर्व है और कम से कम सात दिन तो इसकी
रौनक रहेगी ही. एक गीत सुनते हैं जिसकी पहली पंक्ति
में दीप शब्द आया है. किसके जीवन में दीवाली कब आ
जाए नहीं कहा जा सकता. दीवाली से अर्थ बड़ा खुशी का
मौका भी होता है.

मन्ना दे और भूपेंद्र का गाया गीत है ये फिल्म फरेब से
जिसे असद भोपाली ने लिखा है. इसकी धुन तैयार की है
उषा खन्ना ने.

देसी लॉरेल और हार्डी बने दो कलाकार और किसी फेयरी
टेल में से निकली हसीना जैसी एक नायिका इस गीत पर
फ्री स्टाइल नृत्य का आनंद ले रहे हैं. जुमलों और श्रेणी
के हिसाब से ये ‘मेरी महबूबा हिट्स’ के अंतर्गत आता है.
ठीक है ना अमरीका वासी भारतीय भाइयों और बहनों.




गीत के बोल:

अरे हाँ
जलाओं दीप चरागाँ करो ज़माने में
बहार आई है मेरे गरीबखाने में
समझे मेरे लाल

मेरी महबूबा
मेरी महबूबा आज मेरे घर आई
ओ मेरी महबूबा आज मेरे घर आई
अरे नोटों के हार इसको पहना दो यार
एक परी आसमान से उतर आई
मेरी महबूबा आज मेरे घर आई

चाहता हूँ मैं इसको दिल-ओ-जान से
चाहता हूँ मैं
चाहता हूँ मैं इसको दिल-ओ-जान से
इसकी खातिर मैं दुनिया से टकराऊँगा हाँ
देखने वाले मुंह तकते रह जायेंगे
इस हसीना को मैं ले के उड़ जाऊँगा
इस हसीना को मैं ले के उड़ जाऊँगा
प्यार ले के मेरी हमसफ़र आई
ओ प्याज ले के मेरी हमसफ़र आई
एक परी आसमान से उतर आई
मेरी महबूबा आज मेरे घर आई

शादी होगी हमारी बड़ी धूम से
शादी होगी
शादी होगी हमारी बड़ी धूम से
बैंड बाजे बजेंगे मज़ा आएगा
ओ जब भी गुजरेंगे हम बन के दूल्हा दुल्हन
शहर में एक हंगामा हो जायेगा
शहर में एक हंगामा हो जायेगा
आज बरसों के उम्मीद भर आई
हो आज बरसों के उम्मीद भर आई
एक परी आसमान से उतर आई
मेरी महबूबा आज मेरे घर आई

लग न जाए किसी मनचले की नज़र
लग न जाए
लग न जाए किसी मनचले की नज़र
मैं रखूंगा इसे दो जहाँ से परे
चाँद पर होगा बंगला मेरे चाँद का
इस ज़मीन से अलग आसमान से परे
इस ज़मीन से अलग आसमान से परे
मेरी मंजिल मुझे अब नज़र आई
हो मेरी मंजिल मुझे अब नज़र आई
अरे नोटों के हार इसको पहना दो यार
एक परी आसमान से उतर आई
मेरी महबूबा आज मेरे घर आई
हो मेरी महबूबा आज मेरे घर आई
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Meri mehbooba aaj mere ghar-Fareb 1968

Artists: Maloom nai

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