हवा है सर्द सर्द-शतरंज १९५६
शतरंज से. गीत का मूड ऐसा है मानो कहीं मावठे
की बारिश हुई हो और उसकी वजह से सर्दी पड़ रही
हो.
सी रामचंद्र और राजेंद्र कृष्ण के कोम्बिनेशन वाले इस
गीत को लता मंगेशकर ने गाया है. अशोक कुमार को
सीटी बजाते आपने कितनी फिल्मों में देखा है? एक
नाम हम और बतला देते हैं-हावड़ा ब्रिज, बाकी की आप
ढूंढिए.
गीत के बोल:
हवा है सर्द सर्द
और दिल में भी है दर्द
बरसी है कहीं आज घटा
हवा है सर्द सर्द
और दिल में भी है दर्द
बरसी है कहीं आज घटा
मौसम का रंग है अजीब बुलबुल से फूल है करीब
मौसम का रंग है अजीब बुलबुल से फूल है करीब
आये बहार के कदम जागा है बाग का नसीब
आये बहार के कदम जागा है बाग का नसीब
सुन के घटा का शोर
जंगल में नाचा मोर
बरसी है कहीं आज घटा
शाखें संवर संवर गईं कलियां निखर निखर गईं
शाखें संवर संवर गईं कलियां निखर निखर गईं
देखा समा झुला झुला नज़रें जिधर जिधर गईं
देखा समा झुला झुला नज़रें जिधर जिधर गईं
कैसा अजब है रंग
भीगा है अंग अंग
बरसी है कहीं आज घटा
हवा है सर्द सर्द
और दिल में भी है दर्द
बरसी है कहीं आज घटा
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Hawa hai sard sard-Shatranj 1956
Artist: Ashok Kumar, Meena Kumari
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