रूठे रूठे पिया-कोरा कागज़ १९७४
कथानक में गंभीरता ज्यादा है. फिल्म में कुछ पल
ऐसे भी हैं जिनमें हास्य और छेड़ छाड है. आम तौर
पर नायक नायिका को छेड़ता नज़र आता है. प्रस्तुत
गीत में नायिका नायक को छेड़ रही है. खिसियाने से
दिख रहे नायक का नाम विजय आनंद है.
एम जी हशमत के लिखे गीत की धुन बनाई है जोड़ी
कल्याणजी आनंदजी ने और इसे लता मंगेशकर ने
गाया है. इस गीत के लिए लता मंगेशकर को फिल्मों
का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था. फिल्म के संगीत के
लिए कल्याणजी आनंदजी को उस साल का फिल्मफेयर
पुरस्कार मिला था.
गीत के बोल:
रूठे रूठे पिया मनाऊँ कैसे
रूठे रूठे पिया मनाऊँ कैसे
आज न जाने बात हुई क्या
क्यों रूठे मुझसे
जब तक वो न बोलें मुझसे
मैं समझूँ कैसे
रूठे रूठे पिया पिया पिया
रूठे रूठे पिया पिया पिया
रूठे रूठे पिया
वो बैठे हैं कुछ ऐसे
शादी में दुल्हन जैसे
क्या बन के दुल्हा मैं जाऊँ
और उनकी माँग सजाऊँ
लम्बी दुल्हन ठिगना दूल्हा
लम्बी दुल्हन ठिगना दूल्हा
जोड़ी सजे कैसे
रूठे रूठे हो रूठे रूठे
हाँ हाँ रूठे रूठे पिया पिया पिया
रूठे रूठे पिया
क्या मुझसे हसीं हैं क़िताबें
पिया जिनको प्यार से थामे
मैं नैन मिलाना चाहूँ पर
नैन मिला ना पाऊँ
सौतन चश्मा बीच में आये
सौतन चश्मा बीच में आये
नैन मिलें कैसे
रूठे रूठे पिया
क्या बचपना कर रही हो
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Roothe roothe piya-Kora kagaz 1974
Artists: Jaya Bhaduri, Vijay Anand
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