उड़ते हुए पंछी-संजोग १९४३
काफी कलाकार हमने देखे हैं अभी तक. ३० और ४०
के दशक में एक कलाकार काफी चर्चित थे अपनी
भाव भंगिमाओं की वजह से-नूर मोहम्मद चार्ली. नाम
में आगे चार्ली लगा है इससे अनुमान लगाइए कि ये
चार्ली चैप्लिन के बड़े फैन रहे होंगे. गीत देख कर भी
आपको यकीन हो जायेगा इस बात पर.
कारदार निर्देशित इस फिल्म का संगीत नौशाद ने तैयार
किया है. प्रस्तुत गीत लिखा है दीनानाथ मधोक ने और
इसे गाया है नूर मोहम्मद चार्ली संग सुरैया ने. परदे पर
चार्ली के साथ मेहताब हैं.
सन १९३२ की एक फिल्म पाक दमन रक्कासा से शुरू
हुआ उनका कैरियर १९६३ की फिल्म अकेली मत जइयो
तक चला. बीच के समय में वे विभाजन के बाद पडोसी
देश भी रह आये. अंत समय उनका अमरीका में गुज़रा.
हिंदी सिनेमा के पहले स्टार कॉमेडियन नूर मोहम्मद की
आवाज़ भी जनता को पसंद थी और वे अपनी अदाओं और
गायकी दोनों के लिए चर्चित रहे.
गीत के बोल:
उड़ते हुए पंछी
कौन इनको बताये
जो पास में बैठे हैं
जो पास में बैठे हैं
दिल उनका हुआ जाये
उड़ते हुए पंछी
उड़ते हुए पंछी
क्या तुझसे कहूँ हाय
जो पास में बैठे हैं
जो पास में बैठे हैं
वो हमको बड़े भाये
उड़ते हुए पंछी
मुंह की बातें सारी
झूठों के झूठे दिलासे
मुंह की बातें सारी
झूठों के झूठे दिलासे
कोई मर जाये उनकी बाला से
कोई मर जाये उनकी बाला से
उड़ते हुए पंछी
उड़ते हुए पंछी
कौन इनको बताये
जो पास में बैठे हैं
जो पास में बैठे हैं
हम उनको बड़े भाये
उड़ते हुए पंछी
हो ओ ओ दिल है हसरतों से भरा रे
ये न लगी जाने ज़रा रे
हूँ
दिल है हसरतों से भरा
अरे अरे हाँ
ये न लगी जाने ज़रा
दिल में आ के देख मेरे
कौन खोटा कौन खरा
दिल में आ के देख मेरे
कौन खोटा कौन खरा
उड़ते हुए पंछी
उड़ते हुए पंछी
क्या तुझसे कहूँ हाय
जो पास में बैठे हैं
जो पास में बैठे हैं
वो हमको बड़े भाये
उड़ते हुए पंछी
उड़ते हुए पंछी.
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Udte hue panchhi-Sanjog 1943
Artists: Noor Mohammad Charlie, Mehtab
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