अजी ओ सुनो तो- ट्वेल्व ओ क्लॉक १९५८
ऐसे बनाना कि वो सिनेमा हॉल में चल पायें आसान
काम नहीं है. बिना गानों के तो केवल डॉक्यूमेंट्री ही
बना करती है. भूत वाली पिक्चरों में भी ठुमके चाहिए
पब्लिक को. अब समोसे के साथ चटनी की आदत
लगाई है तो वो तो धीरे धीरे ही जायेगी. जैसे मौसंबी
के जूस के साथ गुल्लू-कोज़ होना ज़रूरी है वैसे ही
फिल्मों में गाने ज़रूरी हैं.
सुनते हैं फिल्म से अगला गीत गीता दत्त की आवाज़
में. बोल एक बार फिर से मजरूह सुल्तानपुरी के हैं
और संगीत ओ पी नैयर का.
गीत के बोल:
अजी ओ सुनो तो नहीं तुमने हमें पहचाना
दिया था तुम्हें दिल यही दिन थे यही था ज़माना
अजी ओ सुनो तो नहीं तुमने हमें पहचाना
अच्छी नहीं ये दिल्लगी खामोश क्यूँ बैठे हो जी
अच्छी नहीं ये दिल्लगी खामोश क्यूँ बैठे हो जी
दिल से मेरे क्यूँ दूर हो यूँ दूर हो कुछ तो कहो
अजी ओ सुनो तो नहीं तुमने हमें पहचाना
दिया था तुम्हें दिल यही दिन थे यही था ज़माना
सोचो ज़रा याद आयेगी जादू भरी वो चांदनी
सोचो ज़रा याद आयेगी जादू भरी वो चांदनी
चन्दा पे वो वो सोई सोई घटा खोई हवा
अजी ओ सुनो तो नहीं तुमने हमें पहचाना
दिया था तुम्हें दिल यही दिन थे यही था ज़माना
जब से लगी तेरी नज़र ज़ख़्मी पड़े हैं दिल जिगर
जब से लगी तेरी नज़र ज़ख़्मी पड़े हैं दिल जिगर
बैठे हो तुम सब जान के सब जान के पहचान के
अजी ओ सुनो तो नहीं तुमने हमें पहचाना
दिया था तुम्हें दिल यही दिन थे यही था ज़माना
अजी ओ सुनो तो नहीं तुमने हमें पहचाना
अजी ओ सुनो तो नहीं तुमने हमें पहचाना
....................................................................
Aji o suno to-12 O clock 1958
Artists: Shashikala, Guru Dutt, Rehman
0 comments:
Post a Comment