देख इधर ए हसीना-ट्वेल्व ओ क्लॉक १९५८
गई जो छाया भी देती हैं. जुल्फों की छांव पर हमारे
कवियों और गीतकारों के काफी तारीफ और उल्लेख
भरी कवितायेँ और गीत रच दिये.
नायक ने टोपी पहन राखी है फिर भी उसे गर्मी लग
रही है और वो जुल्फों के साये की डिमांड कर रह है.
ऐसे में तो उसे पुदीने वाला जलजीरा पीना चाहिए.
हाफ कट जुल्फों से भला कितनी छांव हो सकेगी?
हास्य गीत में हास्य के अलावा और क्या छुपा हो
सकता है ये समझना पड़ता है. कभी कभी ये व्यंग्य
हो सकता है तो कभी सहज बुद्धूपना. निपट मूर्खता
शब्द मेरे दिमाग में आये थे क्यूंकि कई गीतों में
बेतुकी सी सिचुएशंस होती हैं जिन्हें इनसे बढ़िया
शब्दों से नहीं बखाना जा सकता है. गीतकार एक
सेंसिटिव पर्सन होता है अतः आप सटीक टिप्पणी
तभी कर सकते हैं जब आपके पास भी वैसा ही
फर्टाइल दिमाग हो सोचने वाला.
रफ़ी और गीता दत्ता का गाया गीत सुनते हैं जिसे
लिखा है साहिर लुधियानवी ने और धुन बनाने वाले
संगीतकार का नाम है ओ पी नैयर. शफ़ा शब्द का
मतलब है दवाई.
गीत के बोल:
देख इधर ए हसीना जून का है महीना
डाल जुल्फों का साया आ रहा है पसीना
देख इधर ए हसीना जून का है महीना
डाल जुल्फों का साया आ रहा है पसीना
देख इधर ए हसीना
सुन ले कभी दिल की सदा
ओ नाजनीन जी न जला
सुन ले कभी दिल की सदा
ओ नाजनीन जी न जला
बीमार-ए-गम हूँ शफ़ा मुझको दे
दामन से अपने हवा मुझको दे
बीमार-ए-गम हूँ शफ़ा मुझको दे
दामन से अपने हवा मुझको दे
हॉय मैं हूँ मैडम मरीना ओ रे फटफट पसीना
दूर से बात करना पास आना कभी ना
मैं हूँ मैडम मरीना
लाखों ही जब आहें भरें
तुम ही कहो हम क्या करें
लाखों ही जब आहें भरें
तुम ही कहो हम क्या करें
किस किस के दिल की खबर कोई ले
किस किस के गम का असर कोई ले
किस किस के दिल की खबर कोई ले
किस किस के गम का असर कोई ले
हाय देख इधर ए हसीना जून का है महीना
डाल जुल्फों का साया आ रहा है पसीना
देख इधर ए हसीना
मुद्दत से हूँ बर्बाद मैं
शीरी है तू फ़रहाद मैं
मुद्दत से हूँ बर्बाद मैं
शीरी है तू फ़रहाद मैं
ये न समझना के घर जाऊँगा
मैं तेरी चौखट पे मर जाऊँगा
हो ये न समझना के घर जाऊँगा
मैं तेरी चौखट पे मर जाऊँगा
हाय मैं हूँ मैडम मरीना ओ रे फटफट पसीना
दूर से बात करना पास आना कभी ना
हाय देख इधर ए हसीना जून का है महीना
डाल जुल्फों का साया आ रहा है पसीना
ओ देख इधर ए हसीना
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Dekh idhar ae haseena-12 O clock 1958
Artists: Johny Walker, Ashita Majumdar
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