नदिया किनारे पे-बरसात की एक रात १९८१
का गाया हुआ एक गाना जिसे आनंद बक्षी ने ल्लिखा है.
गीत में एक नदी का उल्लेख है-तीस्ता. बरसों पहले आपने
दूरदर्शन पर एक गीत सुना होगा येसुदास की आवाज़ में
जिसमें तीस्ता नदी की चंचलता का जिक्र है.
तीस्ता नदी हमारे देश की नदियों में सबसे ज्यादा वेग से
बहने वाली नदी है. पहाड़ों के बीच में सुन्दर प्रकृति के दृश्यों
के बीच बहती ये नदी अनूठी है.
गीत के बोल:
नदिया किनारे पे हमरा बागान
हमरे बगानों पे झूमे आसमान
हो ओ ओ ओ
नदिया किनारे पे हमरा बागान
हमरे बगानों पे झूमे आसमान
दर्पण सा चमके रे तीस्ता का पानी
मुख देखे पानी में भोर सुहानी
दर्पण सा चमके रे तीस्ता का पानी
मुख देखे पानी में भोर सुहानी
हो ओ ओ ओ
शिव जी के मंदिर में जागे भगवान
हमरे बगानों से झूमे आसमान
हो ओ ओ ओ
नदिया किनारे पे हमरा बागान
हमरे बगानों पे झूमे आसमान
पंछी हो कोई तो पिंजरा बनाऊँ
बंदी हो कोई तो मैं पहरा बिछाऊँ
हो पंछी हो कोई तो पिंजरा बनाऊँ
बंदी हो कोई तो मैं पहरा बिछाऊँ
हो ओ ओ ओ
बस में न आये रे मन बेईमान
हमरे बगानों पे झूमे आसमान
हो ओ ओ ओ
नदिया किनारे पे हमरा बागान
हमरे बगानों पे झूमे आसमान
किसी जादूगर ने चंदा सूरज बनाये.
एक निकाले बाहर एक छुपाये
हो किसी जादूगर ने चंदा सूरज बनाये.
एक निकाले बाहर एक छुपाये
हो ओ ओ ओ
खेल है जादू सा सारा जहान
हमरे बगानों पे झूमे आसमान
हो ओ ओ ओ
नदिया किनारे पे हमरा बागान
हमरे बगानों पे झूमे आसमान
झूमे आसमान झूमे आसमान
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Nadiya kinare pe-Barsaat ki ek raat 1981
Artist: Rakhi
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