ए दुश्मन जान-पत्थर के सनम १९६७
को अभी भी नहीं है. कुरता पाजामा भी एक प्रकार
का नाईट सूट ही है. इसे दिन में भी पहना जा
सकता है. फिल्मों ने नाईट सूट को काफी लोकप्रिय
कराया है. जैसे मोगली सीरियल ने चड्डी को कराया
और जिसे देखो आज चड्डी पहने मोबाइल काण में
लगा के सड़क पर चहलकदमी करने लगता है. चड्डी
को तो एक देवांग पटेल के गाये बोनी एम के गाने
की पैरोडी ने भी लोकप्रिय कराया है.
कुरता पाजामा पहनने वाले ज्यादा स्मार्ट होते हैं या
कुरता पाजामा पहनने से आदमी ज्यादा स्मार्ट हो
जाता है, मुझे समझ नहीं आया अभी तक. नेता
कुरता पाजामा पहन के ही पब्लिक को क्यूतिया
बना रहे हैं सालों से.
आपने हाइवे पर कर्मचारियों को कपड़ों के ऊपर
जैकेट पहने देखा होगा. उसकी डिजाईन इसी गीत
से प्रेरित है शायद.
कुछ नैयर के गीत और कुछ पश्चिमी एशिया का
संगीत सुन कर लक्ष्मी प्यारे ने इस धुन की रचना
की होगी ऐसा मेरा अनुमान है. मजरूह का गीत है
और इसे आशा भोंसले गा रही हैं.
गीत के बोल:
आ ये बहार
हां
ये समा आ
ए दुश्मन-ए-जां
चल दिया कहाँ
ए दुश्मन-ए-जां
चल दिया कहाँ
ये बहार
गालों पे लट हां बेकरार
गोरा बदन हां प्यार प्यार
तुझको पुकारे तू नहीं सुनता
क्या करूं अल्लाह हा आ
छांव भी जो सनम तेरी
छांव भी जो सनम तेरी
मिल गई मेरी छांव से
डाली बदन की हुई हरी
खिल गई मैं अदाओं से
देखो मेरी अंगड़ाईयाँ आ
ए दुश्मन-ए-जां
चल दिया कहाँ
ये बहार
गालों पे लट हां बेकरार
गोरा बदन हां प्यार प्यार
तुझको पुकारे तू नहीं सुनता
क्या करूं अल्लाह हा आ
आ जा आ जा मत देर कर
आ जा आ जा मत देर कर
मस्ती है अभी चाल में
आया भी मेरी जां तू अगर
आते आते कई साल में
तब तक जियूँगी कहाँ आ
ए दुश्मन-ए-जां
चल दिया कहाँ
ये बहार
गालों पे लट हां बेकरार
गोरा बदन हां प्यार प्यार
तुझको पुकारे तू नहीं सुनता
क्या करूं अल्लाह हा आ
ए दुश्मन-ए-जां
चल दिया कहाँ
ए दुश्मन-ए-जां
चल दिया कहाँ
..................................................................
Ae dushman jaan-Patthar ke sanam 1967
Artists: Mumtaz, Manoj Kumar
0 comments:
Post a Comment