ये वादियाँ ये फ़िज़ायें-आज और कल १९६३
ये ज्यादा गहरी होती हैं अगर ध्यान से सुनने वाला
हो. फिल्म ख़ामोशी(१९९८) तो इसी बात को समर्पित
फिल्म है.
सुनते हैं फिल्म आज और कल से लोकप्रिय गीत
जिसे साहिर लुधियानवी ने लिखा है और जिसका
संगीत रवि ने तैयार किया है. इसे मोहम्मद रफ़ी
ने गाया है.
गीत को जिस श्रेणी में आप चाहें फिट कर सकते हैं-
पहाड़ हिट्स, नदी हिट्स, व्हील चेयर हिट्स, डिज़ाईन
वाला स्वेटर हिट्स, बाग-बगीचा हिट्स, झरना हिट्स
और ना सूझे तो सुनील दत्त हिट्स और नंदा हिट्स
में तो गिना जाता ही है ये.
गीत के बोल:
ये वादियाँ ये फिजायें बुला रही हैं तुम्हें
ये वादियाँ ये फिजायें बुला रही हैं तुम्हें
खामोशियों की सदाएं बुला रही है तुम्हें
ये वादियाँ ये फिजायें बुला रही हैं तुम्हें
तरस हैं जवां फूल होंठ छूने को
तरस हैं जवां फूल होंठ छूने को
मचल मचल के हवाएं बुला रहीं हैं तुम्हें
मचल मचल के हवाएं बुला रहीं हैं तुम्हें
खामोशियों की सदाएं बुला रही है तुम्हें
ये वादियाँ ये फिजायें बुला रही हैं तुम्हें
तुम्हारी ज़ुल्फों से खुशबू की भीख लेने को
तुम्हारी ज़ुल्फों से खुशबू की भीख लेने को
झुकी झुकी सी घटायें बुला रही है तुम्हें
झुकी झुकी सी घटायें बुला रही है तुम्हें
खामोशियों की सदाएं बुला रही है तुम्हें
ये वादियाँ ये फिजायें बुला रही हैं तुम्हें
हसीन चम्पई पैरों को जब से देखा है
हसीन चम्पई पैरों को जब से देखा है
नदी की मस्त अदायें बुला रही है तुम्हें
नदी की मस्त अदायें बुला रही है तुम्हें
खामोशियों की सदाएं बुला रही है तुम्हें
ये वादियाँ ये फिजायें बुला रही हैं तुम्हें
मेरा कहा न सुनो इनकी बात तो सुन लो
मेरा कहा न सुनो इनकी बात तो सुन लो
हर एक दिल की दुआयें बुला रही है तुम्हें
हर एक दिल की दुआयें बुला रही है तुम्हें
खामोशियों की सदाएं बुला रही है तुम्हें
ये वादियाँ ये फिजायें बुला रही हैं तुम्हें
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Ye wadiyan ye fizayen bula rahi-Aaj aur Kal 1963
Artist: Sunil Dutt, Nanda
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