दाल कैसे गले-बाप रे बाप १९५५
उनके परिवारवाले नायक के घर में इकठ्ठा हो जाते हैं। उसके बाद शुरू
होता है घमासान । गाना उसी दृश्य के बाद गाया जा रहा है। सबसे
पहले इस फ़िल्म का संगीत तैयार कर रहे थे सी रामचंद्र । उन्होंने २
गीत भी इस फ़िल्म के लिए बनाये।
कुछ साल पहले तक आम जनता को यही मालूम था की ये गीत
ओ पी नय्यर ने तैयार किया है। असलियत में इसकी धुन बनाई है
सी रामचंद्र ने, जिसका खुलासा स्वयं नय्यर ने एक साक्षात्कार के
दौरान किया था। हिन्दी फ़िल्म संगीत में आपको कई ऐसे उदाहरण
मिल जायेंगे जिनमे दो या अधिक संगीतकारों की धुनें एक ही फ़िल्म
में मौजूद हों । ये गीत लिखा है जान निसार अख्तर ने। इस गीत के
बोल आप समझ पायें तो अपने आप को खुशकिस्मत समझिये :P
गीत के बोल:
फूट आपस में पड़ी और हम कुंवारे रह गए
सब बाराती चल दिए दूल्हा बेचारे रह गए
धीम पटा पट धिन्ग्री प् को ,धीम पटा पट धींग
दाल कैसे गले जबके जूता चले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले
दाल कैसे गले जबके जूता चले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले
हो डे डीरी डीरी डीरी डीरी डेई , डूरु डूरु डूरु डेई टी
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दाल कैसे गले जबके जूते चले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले
हर जगह से नमूने मंगाए गए
साथ घोड़े गधे सब बुलाये गए
हर जगह से नमूने मंगाए गए
साथ ई हीं ई हीं ई हीं ...........
ऐसी शक्लें जिन्हें देख कर दिल जले
ऐसी शक्लें जिन्हें देख कर दिल जले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले
धींगामुश्ती हुयी खूब झगडे हुए
आधे लूले हुए आधे लंगड़े हुए
धूम धड़क्का ...............
ऐसे घूंसे लगे ऐसे डंडे पड़े
सारे अरमान शादी के ठंडे पड़े
ऐसे घूंसे लगे ऐसे डंडे पड़े
ऐसे घूंसे लगे ऐसे डंडे पड़े
घूंसे डंडे धे घूंसे डंडे धे
घूंसे डंडे धे
बाप दौलत लुटा हाथ बैठा मले
वडी, दौलत लुटा हाथ बैठा मले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले
दाल कैसे गले जबके जूते चले
ऐसी शादी से हम तो कुंवारे भले
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Daal kaise gale-Baap re baap 1955
Artists: Kishore Kumar, Jayant
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