भूली हुई यादों-संजोग १९६१
गीत दे रहे थे। आम संगीत प्रेमी ये ही अनुमान लगाते हैं
कि ये कल्याणजी आनंदजी का संगीतबद्ध किया हुआ नगमा
है। मदन मोहन ने यदा कदा ही संगीत प्रेमियों को भ्रमित
किया होगा। ये उन वाकयों में से एक हो सकता है। सारे
क़यास, अनुमानों के बावजूद धुन बढ़िया है।
मदन मोहन ने राजा मेहँदी अली खान के साथ काम करने
के काफ़ी समय बाद अपने पुराने साथी राजेंद्र कृष्ण को याद
किया और इस फ़िल्म में सभी गीत राजेंद्र कृष्ण के लिखे
हुए है।
भूली हुई यादों मुझे इतना ना सताओ
अब चैन से रहने दो मेरे पास न आओ
भूली हुई यादों मुझे इतना ना सताओ
अब चैन से रहने दो मेरे पास न आओ
भूली हुई यादों
दामन में लिये बैठा हूँ टूटे हुए तारे
टूटे हुए तारे
कब तक मैं जियूँगा यूँ ही ख्वाबों के सहारे
ख्वाबों के सहारे
दीवाना हूँ अब और ना दीवाना बनाओ
अब चैन से रहने दो मेरे पास न आओ
भूली हुई यादों
लूटो ना मुझे इस तरह दोराहे पे ला के
दोराहे पे ला के
आवाज़ न दो एक नई राह दिखा के
नई राह दिखा के
संभला हूँ मैं गिर गिर के मुझे फिर ना गिराओ
अब चैन से रहने दो मेरे पास ना आओ
भूली हुई यादों मुझे इतना ना सताओ
अब चैन से रहने दो मेरे पास न आओ
भूली हुई यादों
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Bhooli hui yaadon-Sanjog 1961
Artist: Pradeep Kumar, Shubha Khote
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