दुनिया ओ दुनिया-नया ज़माना १९७१
धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी की जोड़ी की सफल फिल्मों में से एक है
नया ज़माना। इस फ़िल्म में अरुणा ईरानी, महमूद , प्राण और ललिता पवार
अन्य कलाकार हैं। समाजवाद और बेरोजगारी पर प्रकाश डालती ये फ़िल्म
एक अच्छा प्रयास था फिल्मकार प्रमोद चक्रवर्ती का। गरीबों के शोषण का
मुद्दा इस गाने के जरिये भी उठाया गया है। सुनिए और सोचिये। इसको लिखा
है आनंद बक्षी ने और संगीत से संवारा है सचिन देव बर्मन ने। लेखक की किताब
एक अमीर आदमी के नाम से छाप जाती है। जिसका जिक्र तीसरे अंतरे में आया है।
"आपसे तो मुझको कोई शिकवा......"
गाने के बोल :
दुनिया ओ दुनिया, तेरा जवाब नहीं
तेरी जफ़ाओं का, बस कोई हिसाब नहीं
तू छांव है या धूप है खबर किसको
क्या है तेरा असली रूप खबर किसको
आये नज़र कैसे तू आँसू है, ख़्वाब नहीं
दुनिया ओ दुनिया ...
तेरी ज़ुबां पे है, ज़िक्र सितारों का,
तेरे लबों पे है, नाम बहारों का
पर तेरे दामन में, काँटे हैं, गुलाब नहीं
दुनिया ओ दुनिया ...
ये किन खयालों में, खो गये हैं आप,
क्यों कुछ परेशान से, हो गये हैं आप
आपसे तो मुझको कुछ शिक़वा जनाब नहीं
दुनिया ओ दुनिया ...
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