Oct 24, 2009

खाई है रे हमने कसम-तलाश १९६९

लता मंगेशकर की आवाज़ में एक शानदार नगमा। इसपर अजीब सा नृत्य
किया है शर्मिला टेगोर ने। यूँ कहें कि नृत्य निर्देशक ने करवाया है। इस
फ़िल्म का नाम है तलाश। गाने को देख के नहीं लगता आपको कि एक
अच्छे नृत्य निर्देशक की तलाश है गाने में। ज्यादा दिमाग मत दौडाइए ,
फ़िल्म में अच्छा नृत्य और संगीत है। बस इसी गाने पे नृत्य थोड़ा फिल्मी
दुनिया की भाषा में 'अलग हट के' है ;)

"इस अलग हट के गीत"पर हुयी चर्चा की एक कहानी सुनाते हैं आपको.
एक संगीत फोरम के ९५ प्रतिशत सदस्यों ने इस गीत पर शर्मिला के
नृत्य की तारीफ़ की. हुआ यूँ, वरिष्ठ सदस्यों ने वाह वाह की, अब
बाकी के बचे ९० प्रतिशत सदस्यों की नैतिक जिम्मेदारी हो जाती है कि
हाँ में हाँ मिलाये. इक्का दुक्का जिनको पसंद नहीं आया उन्होंने चर्चा
से आपने आप को अलग कर लिया. उन सयानों में से एक ऐसा भी
था जिसे न तो शर्मिला की एक्टिंग पसंद आती है और ना ही नृत्य.
वो सयाना वैसे बहुत सुलझा हुआ लेकिन कुटिल किस्म का संगीत प्रेमी
है.


गाने के बोल:

खाई है रे हमने कसम
संग रहने की

आएगा रे उडके मेरा हंस परदेसी

खाई है रे हमने कसम
संग रहने की

आएगा रे उड़के मेरा हंस परदेसी

पहला मिलन मोसे नहीं रे सजन का
रहेगा सदा मिलना धरती गगन का

पहला मिलन मोसे नहीं रे सजन का
रहेगा सदा मिलना धरती गगन का

युग से वो है मेरा
युग से वो है मेरा
मैं उसकी रे

खाई है रे हमने कसम
संग रहने की

आएगा रे उड़के मेरा हंस परदेसी

ऐसे तो नहीं उसके रंग में ढली मैं
पिया अंग लग लग के भई सांवली मैं

ऐसे तो नहीं उसके रंग में ढली मैं
पिया अंग लग लग के भाई सांवली मैं

मेरे तन पे छांव है
मेरे तन पे छांव है
उसी की रे

खाई है रे हमने कसम
संग रहने की

आएगा रे उड़के मेरा हंस परदेसी
हंस परदेसी
...मेरा, हंस परदेसी
............................................................................................
 Khai hai re hamne kasam-Talash 1969

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