कितना प्यारा वादा है-कारवां १९७१
ये उन गानों में से एक है जिनको सुन सुन कर हमलोग बड़े हुए
यानी कि हमारी पीड़ी के लोग। गाना है -कितना प्यारा वादा है
इन मतवाली आँखों का " फ़िल्म कारवां का। ये गीत रेडियो
पर दिन में २-३ बार बजा करता और इसके बोल लगभग रट
से गए थे। उन दिनों में हम लोगों को मतवाली आँखों का मतलब
नहीं पता होता था। मस्ती शब्द का अर्थ भी बहुत बाद में मालूम
पड़ा। गीत मजरूह ने लिखा है ये गीत को पांचवी बार सुनने पर
ही याद हो गया था।
गाने के बोल:
ओह सोणिये, मार सुट्टेया…
कितना प्यारा वादा…
कितना प्यारा वादा है, इन मतवाली आंखों का
इस मस्ती में सूझे न, क्या कर डालूं हाल
मोहे संभाल…
ओ साथिया, ओ बेलिया
कितना प्यारा वादा है. इन मतवाली आंखों का
इस मस्ती में सूझे न, क्या कर डालूं हाल
मोहे संभाल…
हो उजाला, या अँधेरा…
कहीं न छूटे, हाथ मेरा…
कोई मेरा न, तेरे बिन…
पिया निभाना, साथ मेरा…
अरे, कोरा कोरा, गोरा गोरा, ये अंग तोरा, हाय
पागल, मोहे, बना, दिया
कितना प्यारा वादा है, इन मतवाली आंखों का
इस मस्ती में सूझे न, क्या कर डालूं हाल
मोहे संभाल
बरसों मैंने, मन् जलाया
मिली पलकों की, तब ये छाया
कांटे मेरे, तन् में टूटे
गले से तुने, तब लगाया
हो सैयां प्यारे, चलता जा रे, बैयाँ डारे, हाय
गरवा तोहे, लगा लिया
कितना प्यारा वादा है, इन मतवाली आंखों का
इस मस्ती में सूझे न, क्या कर डालूं हाल
मोहे संभाल
रोज़ उठाके, ये नयनवा
छुआ करुँगी, तोरा मनवा
जैसे पहली बार चाहा
सदा चाहूंगी मैं सजनवा
हाय तेरे नैना मेरे नैना फ़िर क्या कहना, हाय
क्या क्या न मैंने, पा लिया
कितना प्यारा वादा है, इन मतवाली आंखों का
इस मस्ती में सूझे न, क्या कर डालूं है
मोहे संभाल
ओ साथिया, ओ बेलिया
कितना प्यारा वादा है, इन मतवाली आंखों का
इस मस्ती में सूझे न, क्या कर डालूं है
मोहे संभाल
ओ साथिया, ओ बलिया…
ओ साथिया, ओ बलिया…
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