ओ जानेवाले मुडके ज़रा-श्री ४२० १९५५
आज एक उपेक्षित गीत का जिक्र किया जाए। विडम्बनाएं
जीवन में बहुत सी हैं, अपवाद भी बहुत से नज़र आते हैं।
'मेरा जूता है जापानी' और 'प्यार हुआ इकरार हुआ ' के ऊपर किताबें
लिख डालने वालों को एक छोटा सा गीत सुनाई नहीं दिया। या तो इस गीत
की राग वाहियात है, शंकर जयकिशन का संगीत बेकार या लता मंगेशकर
का गायन कमजोर है । हो सकता है हसरत जयपुरी के लिखने में कोई
कसर रह गई हो। शंकर जयकिशन के "Die hard fans" से ये सवाल
मैं जरूर पूछना चाहता हूँ ।
शंकर जयकिशन के सारे संगीत में से अगर मुझे कहा जाए
एक गाना चुनो तो शायद मैं इस गाने को चुनूंगा। लता मंगेशकर के
गाये गानों में दर्द ढूँढने वाले शायद शंकर जयकिशन के बनाये दूसरे
गीतों में दुःख भरी भावनाएं ढूंढ के उनको बेहतर बताने के प्रयास करें,
जैसे ये शाम की तनहाइयाँ -आह, तेरा जाना-अनाड़ी इत्यादि ।
मेरा ऐसा मानना है कि जो आत्मा भेदन इस छोटे से गीत द्वारा होता है
वो ६-८ मिनट के १०-२० लंबे गीतों द्वारा भी नहीं हो पाता । इस गीत
को एल पी रिकॉर्ड पर सुनना एक अलौकिक अनुभव है। लता मंगेशकर
की आवाज़ की खूबियाँ सारी इस अकेले गीत में प्रकट हो जाती हैं। इसी
तरह शंकर जयकिशन के संगीत का सारा निचोड़ इस २.१२ मिनट के
गाने में उपलब्ध हैं। इतना नपा तुला गीत आपको ढूंढें से नहीं मिलेगा।
श्रेष्ठ वस्तुएं ज़िन्दगी में अक्सर छोटी होती हैं। ज़िन्दगी के सबसे सुखद
क्षण हमेशा सूक्ष्म आकार के ही मिलेंगे। एक टीस, अधूरेपन का अहसास
ये गीत छोड़ देता है वही इसकी खासियत है। भावनाओं पर काबू रखे
अभिनेत्री का अंतर्मन क्या कहना चाहता है उसको अनूठे ढंग से फिल्माया
गया है। नर्गिस ने अपनी अभिनय क्षमता का परिचय इन २ मिनटों
में दे दिया है।
नर्गिस कि तकरीबन सभी फ़िल्में मैंने देखी हैं। राज कपूर को उतना ध्यान
से मैंने नहीं देखा जितना कि उनकी फिल्मों की अभिनेत्रियों को। उनकी
फिल्मों का सबसे मजबूत पक्ष उनकी नायिकाएं ही हुआ करती थी।
राज कपूर ने नारी मन पर शायद पी एच डी कर रखी थी।
उसके साथ ही संगीत कि गहरी समझ उनको ईश्वरीय वरदान था।
ये सिलसिला फ़िल्म 'आग' से चालू होके फ़िल्म हिना तक चला।
फ़िल्म आग में राम गांगुली का संगीत था।
शंकर जयकिशन अपने आखिरी दौर में दूसरे संगीतकारों की भांति थोड़ा
लाउड होते चले। ये उनके सबसे मधुर और श्रेष्ठ समय का संगीत है।
श्री ४२० में केमरे के पीछे जो शख्स था उसका नाम राधू करमाकर है।
ये फ़िल्म अपने दृश्य संयोजन और छाया प्रभावों के लिए बहुत सराही
गई। इस गीत के विडियो में एक ही कमी है वो ये- साड़ी पहने नायिका
का मन जो बाहर आता है वो विलायती परिधान पहने हुए है। अगर हम
सूक्ष्म शरीर की बात करें तो वो भी थोड़ा मूल शरीर से छोटे आकार का
होता है। बस यही बात थोड़ी आँखों को खटकती है। राज कपूर कितने
भी देसी नज़र आते रहे हों अपनी फिल्मों में वो विलायतियत के प्रभाव
से मुक्त न हो सके ।
श्री ४२० के गाने बहुत चले और घिसे हुए गाने की श्रेणी में आ गए हैं।
घिसे हुए से मतलब 'बहुत ज्यादा बजे' हुए गाने। आगे इस फ़िल्म के
और गीतों पर चर्चा होगी।
गाने के बोल:
तुम्हे कसम है मेरे दिल को यूँ न तड़पाओ
ये इल्तजा है के मुड मुड के देखते जाओ
ओ जानेवाले मुड के ज़रा देखते जाना
ज़रा देखते जाना
ओ जानेवाले मुड के ज़रा देखते जाना
ज़रा देखते जाना
दिल तोड़ के तो चल दिए
मुझको न भुलाना
ज़रा देखते जाना
फ़रियाद कर रही है खामोश निगाहें
खामोश निगाहें
आंसू की तरह आंख से मुझको न गिराना
ज़रा देखते जाना
ओ जानेवाले मुड के ज़रा देखते जाना
ज़रा देखते जाना
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