Nov 15, 2009

ज़मीन से हमें आसमान पर-अदालत १९५८

अदालत नाम से दो फिल्में मुझे ध्यान हैं। एक अमिताभ वाली
और एक ये है श्वेत श्याम के ज़माने से। आशा भोंसले और रफी के
गाये इस युगल गीत को आपने 'छाया गीत' जैसे कार्यक्रमों में बहुत सुना
होगा। आशा भोंसले की आवाज़ और नर्गिस का अभिनय थोड़ा रेयर
किस्म का अनुभव है। इसमे प्रदीप कुमार नायक हैं । संगीत मदन मोहन
का है । ओ पी नय्यर के से संगीत का आभास देता ये गीत सदाबहार गीत
माना जाता है। फ़िल्म सन १९५८ में आई थी। मर्यादित छेड़ छाड़ किसे कहा
जाता है उसका एक शानदार नमूना है ये गीत। इसमे प्रश्न-उत्तर के माध्यम
से भावनाएं व्यक्त की गई हैं।



गीत के बोल:

आ आ आ

ज़मीन से हमें आसमान पर
बिठा के गिरा तो न दोगे

अगर हम ये पूछें के दिल में
बसा के भुला तो न दोगे

ज़मीन से हमें आसमान पर
बिठा के गिरा तो न दोगे

अगर हम ये पूछें के दिल में
बसा के भुला तो न दोगे

ए रात इस वक्त आँचल में तेरे
जितने भी हैं ये सितारे
ए रात इस वक्त आँचल में तेरे
जितने भी हैं ये सितारे

जो दे दे तू मुझ को तो, फिर मैं लूटा दूँ
किसी की नज़र पे ये सारे

आ आ आ
कहो के ये रंगीन सपने
सजा के मिटा तो न दोगे

अगर हम ये पूछें.................

तुम्हारे सहारे निकल तो पड़े हैं
है मंजिल कहाँ दिल न जाने
तुम्हारे सहारे निकल तो पड़े हैं
है मंजिल कहाँ दिल न जाने

जो तुम साथ दोगे तो आएगी एक दिन
मंजिल गले से लगाने

आ आ आ
इतना तो दिल को यकीन है
हमें तुम दगा तो न दोगे

अगर हम ये पूछें................

ज़मीन से हमें आसमान पर
बिठा के गिरा तो न दोगे

अगर हम ये पूछें के दिल में
बसा के भुला तो न दोगे

आहा, हा हा हा, हा हा हा
ला ला, ला ला ला, ला ला ला
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म
हा हा, हा हा हा, हा हा हा

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