ज़रा रुक रुक के-आशा १९५७
वैजयंती माला का नृत्य फिर से एक बार एक श्वेत श्याम के
युग की फिल्म से। फिल्म का नाम आशा है जो सन १९५७ में
आई थि। इस फिल्म का एक गीत आपको ज़रूर याद होगा-
ईना मीना डीका जो किशोर ना गाया है। फिल्म के सभी गीत सुनने
लायक हैं। लता मंगेशकर का ये गीत कम सुना गया गीत है इसलिए
इसको पहले शामिल किया गया है ब्लॉग पर। इस गीत को देख के
मेरा भी नाचने का मन करने लगता है ;)
गीत के बोल:
ज़रा रुक रुक के ज़रा थम थम के
मैं तो द्वार चली सखी बालम के
मैं तो द्वार चली सखी बालम के
ज़रा रुक रुक के ओ ज़रा थम थम के
मैं तो द्वार चली सखी बालम के
मैं तो द्वार चली सखी बालम के
मेरी अंखियों में धार है काजल की
धार है काजल की
मेरी जुल्फों में लहर है बादल की
धार काजल की
मेरी पायल में सुर हैं सरगम के
मेरी पायल में सुर हैं सरगम के
ओ ज़रा रुक रुक के ओ ज़रा थम थम के
मैं तो द्वार चली सखी बालम के
मैं तो द्वार चली सखी बालम के
ओ ज़रा रुक रुक के ओ ज़रा थम थम के
मैं तो द्वार चली सखी बालम के
मैं तो द्वार चली सखी बालम के
मेरे दिल में लगन जब तेरी है
मेरे दिल में
मेरे दिल में लगन जब तेरी है
फिर गम क्या जो रात अँधेरी है
मेरी बिंदिया,
ओ मेरी बिंदिया तो सैयां चम् चम् चमके
मैं तो द्वार चली सखी बालम के
मैं तो द्वार चली सखी बालम के
ओ ज़रा रुक रुक के ओ ज़रा थम थम के
मैं तो द्वार चली सखी बालम के
मैं तो द्वार चली सखी बालम के
मैंने देखी है झलक एक, साजन की
एक, साजन की
अब प्यास बुझी मेरी अँखियाँ की
मेरी अँखियाँ की
जली ज्योत ख़ुशी की गए दिन गम के
जली ज्योत ख़ुशी की गए दिन गम के
ओ ज़रा रुक रुक के ओ ज़रा थम थम के
मैं तो द्वार चली सखी बालम के
मैं तो द्वार चली सखी बालम के
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