तेरा ख़त ले के सनम-अर्धांगिनी १९५९
एक है फिल्म अर्धांगिनी का -तेरा ख़त ले के सनम.. नायिका इतनी
खुश है पत्र पाकर कि पांव कहीं रखती है, कदम कहीं और पड़ते हैं।
इसको कहते हैं ख़ुशी के मारे बहकना या लडखडाना। बहकना या
लडखडाना केवल मदिरा का दुष्प्रभाव नहीं है। हवा में उड़ने लगना
भी एक कला है जो मुगालतों के चलते मानव में आ जाया करती है।
मजरूह सुल्तानपुरी ने बहुत हलके से साहित्यिक चपत जमाई है।
लता मंगेशकर ने काफी चिट्ठी /पत्र /डाक पर गीत गाये हैं। एक
मशहूर गीत है जावेद अख्तर का लिखा हुआ फिल्म शक्ति में। बोलों
के लिहाज से मैं अर्धांगिनी के गीत को बेहतर मानता हूँ।
गीत के बोल:
हा हा हा हा, हा हा हा हा हा
हो हो हो हो, हो हो हो हो हो
आ आ आ आ, आ आ आ आ आ
तेरा ख़त ले के सनम
पाँव कहीं रखते हैं हम, हो ओ ओ
कहीं पड़ते हैं कदम, कहीं पड़ते हैं कदम
तेरा ख़त ले के सनम
पाँव कहीं रखते हैं हम, हो ओ ओ
कहीं पड़ते हैं कदम
कहीं पड़ते हैं कदम
राज़ जो इस में छिपा है वो समझता है दिल
हा आ आ आ
राज़ जो इस में छिपा है वो समझता है दिल
कैसे भूलेगी ये ख़त हम से धड़कता है दिल
ये दिल ठहरे ज़रा
नज़र ठहरे ज़रा
होश में आ ले ज़रा हम
तेरा ख़त ले के सनम
पाँव कहीं रखते हैं हम, हो ओ ओ
कहीं पड़ते हैं कदम
कहीं पड़ते हैं कदम
इस में जो बात भी होगी बड़ी कातिल होगी
आ आ आ..................
इस में जो बात भी होगी बड़ी कातिल होगी
तेरी आवाज़ भी इन बातों में शामिल होगी
ये दिल ठहरे ज़रा
नज़र ठहरे ज़रा
सुने फिर तेरी सदा हम
तेरा ख़त ले के सनम
पाँव कहीं रखते हैं हम, हो ओ ओ
कहीं पड़ते हैं कदम
कहीं पड़ते हैं कदम
क्यों ना पा कर इसे तूफ़ान उठे सीने में
आ आ आ..............
क्यों ना पा कर इसे तूफ़ान उठे सीने में
तेरी सूरत नज़र आती है इस आईने में
ये दिल ठहरे ज़रा
नज़र ठहरे ज़रा
ज़रा फिर हो लें फ़िदा हम
तेरा ख़त ले के सनम
पाँव कहीं रखते हैं हम, हो ओ ओ
कहीं पड़ते हैं कदम
कहीं पड़ते हैं कदम
तेरा ख़त ले के सनम
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Tera khat le ke sanam-Ardhangini 1959
Artist: Meena Kumari
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