Dec 27, 2009

रिमझिम रिमझिम देखो-शहज़ादा १९७२

काका-काकी वाले गीत ! ऐसा नामकरण कैसे हुआ ये भी जानिये।
राजेश खन्ना को फिल्म इंडस्ट्री काका के नाम से बुलाती। अब हीरो
काका है तो हिरोइन काकी हुई ना। तो इस गीत में काका की काकी हैं
राखी और वे भी राजेश खन्ना के साथ उसी तन्मयता से गर्दन
हिलाने का प्रयत्न कर रही हैं जिसके लिए राजेश खन्ना विख्यात
हैं। फिल्म जगत के दो कलाकार हैं जिन्होंने गर्दन वाली कसरतें
बहुत की-उनमे एक और नाम है शम्मी कपूर का। उनकी गर्दन
घुमाने की गति थोड़ी ज्यादा थी, क्यूँकि वे बाकी के बदन को उतनी
तेज़ी से नहीं घुमा पाते थे।

ऐसी बकवास हम उन गीतों के लिए ज्यादा करते हैं जो कर्णप्रिय होते हैं
और देखने में आकर्षक भी। इसी बहाने थोडा मनोरंजन हो जाता है।
राजेंद्र कृष्ण के बोलों को गा रहे हैं लता और किशोर। गीत की धुन
बनाई है आर डी बर्मन ने। गीत का दृश्य संयोजन अच्छा है।



गीत के बोल:

रिमझिम रिमझिम देखो बरस रही है रात
प्यार से जो थमा है तुमने मेरा हाथ रे

प्यासी प्यासी कब से तरस रही थी रात
आज कही है जो कहनी थी बरसों पहले बात रे
प्यासी प्यासी कब से

ओ कुडिये मार सुट्टेयी

आज ये बरखा इतनी बरसे
सारी दुनिया जल थल हो जाए
धरती और आकाश के दिल में
एक नयी सी हलचल हो जाए

आगे आगे हम तुम पीछे बूंदों की बारात रे

प्यासी प्यासी कब से तरस रही थी रात
आज कही है जो कहनी थी बरसों पहले बात रे
रिमझिम रिमझिम देखो बरस रही है रात
प्यार से जो थमा है तुमने मेरा हाथ रे
रिमझिम रिमझिम देखो

कल तक ऑंखें जो कहती थीं
होंठों पर हैं आज वही अफ़साने
कुछ कुछ मौसम दीवाना है
कुछ हम तुम भी हैं दीवाने

कभी रुके ना बरसे जाये ये पागल बरसात रे

रिमझिम रिमझिम देखो बरस रही है रात
प्यार से जो थमा है तुमने मेरा हाथ रे
प्यासी प्यासी कब से तरस रही थी रात
आज कही है जो कहनी थी बरसों पहले बात रे
.........................................................................
Rimjhim rimjhim dekho-Shehzada 1972

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP