निर त त ढंग -चंदन का पलना १९६७
शास्त्रीय संगीत का इस्तेमाल हिन्दी फिल्मों में कई बार हास्य कलाकारों
के ऊपर फिल्माए गए गीतों में किया गया है। तोड़ी और टांग तोड़ी की सीमाओं
के बीच झूलते ये गीत आम श्रोता को आनंदित करते हैं। शुद्ध शास्त्रीय संगीत
प्रेमियों को कैसा लगता है ये सब सुनकर, अंदाज़ा लगना मुश्किल है। आम श्रोता
तो छोटी मोटी तान सुनकर ही वाह वाह करने पर तुल जाता है। ये गीत मन्ना डे
और रफ़ी की जुगलबंदी है। आनंद उठाइए। संगीत है राहुल देव बर्मन का।
फ़िल्म में ये गीत महमूद और धुमाल पर फिल्माया गया है। इस फ़िल्म में
महमूद ने एक बंगाली युवक की भूमिका निभाई है। इस गीत के बोल लिखना
मेरे बस के बाहर है, धन्यवाद् :P । गाने के अंत में विलायती युवती सी दिखती हुईं
मुमताज़ प्रकट होती हैं और वो भी इस संगीतमय कसरत में शामिल हो जाती हैं।
गीत के बोल किसी बुन्दादीन महाराज ने लिखे हैं।
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