Dec 23, 2009

जब तक मैंने समझा-भीगी पलकें १९८२

जीवन के थपेड़ों को सहते सहते कभी कभी यूँ लगता है जैसे ये गीत
हमारे लिए लिखा गया हो। फिल्म भीगी पलकें उन कुछ फिल्मों में
से एक है जो मुझे बहुत पसंद हैं। ये गीत सबसे ज्यादा पसंद है मुझे
इस फिल्म से। किशोर कुमार के गाये सर्वश्रेष्ठ दर्दीले गीतों में इसको
शामिल किया जा सकता है। एम् जी हशमत के बोलों को धुन दी है
जुगल किशोर-तिलक राज ने। इस फिल्म में स्मिता पाटिल और
राज बब्बर ने यादगार अभिनय किया है। ये गीत राज बब्बर पर ही
फिल्माया गया है। बैकग्राउंड में गीत बजता है और राज बब्बर अपने
जीवन के फ्लेशबैक में पहुँच जाते हैं।



गीत के बोल:

जब तक, मैंने समझा, जीवन क्या है
जीवन बीत गया
जीवन बीत गया

जब तक, मैंने समझा, जीवन क्या है
जीवन बीत गया
जीवन बीत गया

खुशियों के हर फूल से मैंने
गम का हार पिरोया
प्यार तमन्ना की थी जीवन की
प्यार को पा के खोया
अपनों से खुद तोड़ के नाता
अपनेपन को रोया
अपनेपन को रोया

जब तक मैंने समझा अपना क्या है
सपना टूट गया
सपना टूट गया

जब तक, मैंने समझा, जीवन क्या है
जीवन बीत गया
जीवन बीत गया

जीवन के किस मोड़ पे आ के
दूर हव वो दिल से
आंधी समय की उड़ा के ले गयी
मेरे नशेमन के तिनके

वादे करके प्यार वफ़ा के
बिछड़े साथी मिल के
बिछड़े साथी मिल के

जब तक मैंने समझा साथ क्या है
साथी छूट गया
साथी छूट गया

जब तक, मैंने समझा, जीवन क्या है
जीवन बीत गया
जीवन बीत गया

टूटे रिश्ते याद में उनकी
क्यों भीगी हैं पलकें
टूटे रिश्ते याद में उनकी
क्यों भीगी हैं पलकें
बिखरे बिखरे दिल के टुकड़े
उनकी खातिर तड़पें
प्यासी ऑंखें पी जाएँ आंसू
आँखों से ना ढलकें
आँखों से ना ढलकें

जब तक मैंने समझा आंसू क्या हैं
दामन भीग गया
दामन भीग गया

जब तक, मैंने समझा, जीवन क्या है
जीवन बीत गया
जीवन बीत गया
.......................................................
Jab tak maine samjha-Bheegi Palkein

Artists: Raj Babbar, Smita Patil

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