आप ने याद दिलाया तो मुझे-आरती १९६२
फिल्म आरती के गीतों में से दूसरा गीत पेश है । ये एक युगल गीत है
जिसे लता और रफ़ी ने गाया है । गंभीर किस्म के इस गीत के बोल
लिखे हैं मजरूह सुल्तानपुरी ने। नाउम्मीदी का ये आलम है कि नायक
ये भी भूल चूका है की उसको क्या तकलीफें हैं। लगातार एक जैसी
निराशाजनक स्तिथियों के बाद ऐसा ही दौर आता है की आदमी तकलीफों
से ऊपर उठ जाता है और उसको संसार नकारात्मक या निराशावादी कहना
शुरू कर देता है। उसी सोयी हुई उम्मीदें और अरमान जाग जाते हैं जब कोई
आशा की किरण उसके जीवन में प्रवेश करती है। गीत फिल्माया गया है
प्रदीप कुमार और मीना कुमारी पर और इस गीत की धुन बनाई है रोशन ने।
गाने के बोल:
रफ़ी:
आपने याद दिलाया तो मुझे याद आया
आपने याद दिलाया तो मुझे याद आया
के मेरे दिल पे पड़ा था कोई ग़म का साया
आपने याद दिलाया
मैं भी क्या चीज़ हूँ खाया था कभी तीर कोई
दर्द अब जा के उठा, चोट लगे देर हुई
तुमको हमदर्द जो पाया तो मुझे याद आया
के मेरे दिल पे पड़ा था कोई ग़म का साया
आपने याद दिलाया
मैं ज़मीं पर हूँ न समझा न परखना चाहा
आसमाँ पर ये कदम झूम के रखना चाहा
आज जो सर को झुकाया तो मुझे याद आया
के मेरे दिल पे पड़ा था कोई ग़म का साया
आपने याद दिलाया
लता:
मैं ने भी सोच लिया साथ निभाने के लिये
दूर तक आऊंगी मैं तुमको मनाने के लिये
दिल ने एहसास दिलाया तो मुझे याद आया
के मेरे दिल पे पड़ा था कोई ग़म का साया
आपने याद दिलाया तो मुझे याद आया
रफ़ी:
आपने याद दिलाया तो मुझे याद आया
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Aapne yaad dilaya to mujhe yaad aaya-Aarti 1962
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