शीशा हो या दिल हो-आशा १९८
फ़िल्में आयीं। इनमे आशा और अर्पण प्रमुख हैं। फिल्म
आशा का निर्देशन जय ओमप्रकाश ने किया था जो 'अ'
नाम की फिल्मों का निर्माण करते थे। ये बात और है
उन्होंने अपना दामाद 'र' नाम वाला चुना-राकेश रोशन।
फिल्म आशा सन १९८० की सबसे सफल फिल्मों में थी,
एक ऐसी फिल्म जिसको बॉक्स ऑफिस की भाषा में
ब्लाक-बस्टर कहा जाता है। फिल्म का सबसे लोकप्रिय गीत
आपके लिए पेश है जो लता मंगेशकर का गाया हुआ है।
रीना रॉय पर फिल्माए गए इस गीत के गीतकार है आनंद बक्षी
और संगीतकार हैं लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल । साप्ताहिक कार्यक्रम
बिनाका गीतमाला में ये गीत तीसरे नंबर पर आया। उस साल
चोटी के तीन स्थानों पर लक्ष्मी कान्त प्यारेलाल के गीत ही
विराजे।
गीत के बोल:
हो, हो , ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
शीशा हो या दिल हो
शीशा हो या दिल हो
आखिर टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
लब तक आते आते हाथों से
सागर छूट जाता है
छूट जाता है
छूट जाता है
छूट जाता है
शीशा हो या दिल हो
आखिर टूट जाता है
हो हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
काफी बस अरमान नहीं
कुछ मिलना आसान नहीं
दुनिया की मजबूरी है
फिर तकदीर ज़रूरी है
ये जो दुश्मन है ऐसे
दोनों राज़ी हो कैसे
एक को मनाओ तो दूजा रूठ जाता है
रूठ जाता है
रूठ जाता है
शीशा हो या दिल हो
आखिर टूट जाता है
बैठे थे किनारे पे
मौजों के इशारे पे
बैठे थे किनारे पे
मौजों के इशारे पे
हम खेलें तूफानों से
इस दिल के अरमानों से
हमको यह मालूम ना था
कोई साथ नहीं देता
कोई साथ नहीं देता
माझी छोड़ जाता है
साहिल छूट जाता है
छूट जाता है
छूट जाता है
शीशा हो या दिल हो
शीशा हो या दिल हो
आखिर टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
शीशा हो या दिल हो
दुनिया एक तमाशा है
आशा और निराशा है
थोड़े फूल है कांटे है
जो तकदीर ने बांटे हैं
अपना अपना हिस्सा है
अपना अपना किस्सा है
कोई लुट जाता है
कोई लूट जाता है
लूट जाता है
लूट जाता है
शीशा हो या दिल हो
आखिर टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
टूट जाता है
लब तक आते आते हाथों से
सागर, छूट जाता है
छूट जाता है
छूट जाता है
शीशा हो या दिल हो
.................................................................
Sheesha ho ya dil ho-Asha 1980
Artist-Reena Roy
0 comments:
Post a Comment