दिल से दिल मिलने का-चरित्रहीन १९७४
७० के दशक, संजीव कुमार, शर्मिला टेगोर और नए स्वेटर की डिजाईन ,
पहाड़ियां और वादियाँ। ऐसे दृश्य कई फिल्मों में आपको मिलेंगे । धुन
भी पहाड़ी हो तो सुनने का मज़ा दुगना हो जाता है। फिल्म का निर्माता
थोडा अमीर था अतः संजीव कुमार कोट पहने नज़र आ रहे हैं।
लता मंगेशकर और किशोर कुमार का गाया फिल्म चरित्रहीन का ये गीत
सन १९७४ से ही, जब फिल्म आई थी और ये रडुआ पर बजना शुरू हुआ था,
मुझे पसंद है। इस गीत से मुझे देव आनंद की फिल्म वारंट का एक गीत भी
याद आ जाता है। गीत आनंद बक्षी का है और धुन राहुल देव बर्मन की।
गीत के बोल:
हो हो हो, हो हो हो, हो हो हो
दिल से दिल मिलने का, हाँ, कोई कारण होगा
बीना कारण कोई बात नहीं होती
दिल से दिल मिलने का ,कोई कारण होगा
बिना कारण कोई बात नहीं होती
दिल से दिल मिलने का कोई कारण होगा
वैसे तो हम दोनों एक दूजे से हैं अभी अनजाने
वैसे तो हम दोनों एक दूजे से हैं अभी अनजाने
कोई अगर देखे तो कहे बरसों के हैं मीत पुराने
हो हो, हो हो
कुछ है तुम में हम में
वरना इस मौसम में
फूलों की ऐसी बारात नहीं होती
दिल से दिल मिलने का कोई कारण होगा
हो ना हो हम तुम में प्यार है शक इसमें नहीं है कोई
हो ना हो हम तुम में प्यार है शक इसमें नहीं है कोई
अरे दो ही मुलाकातों में निगोड़े नैनो ने निंदिया खोई
हो हो, हो हो
ऐसे दिन बीतेंगे, कैसे दिन बीतेंगे
अब तो बसर एक रात नहीं होती
दिल से दिल मिलने का कोई कारण होगा
हो हो हो, हो हो हो, हो हो हो, हो हो हो
जाने कहाँ से आये हो तुम हम आये कहाँ से जाने
अजी तुमको खबर ना हमको पटा दिल कैसे मिले दीवाने
जाने कहाँ से आये हो तुम हम आये कहाँ से जाने
हो हो, हो हो
शायद हम दोनों का
हाँ एक ही रास्ता होगा
वरना हमारी मुलाक़ात नहीं होती
दिल से दिल मिलने का कोई कारन होगा
बीना कारन कोई बात नहीं होती
दिल से दिल मिलने का कोई कारन होगा
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