मेरे मन का बावरा पंछी-अमर दीप १९५८
टी प्रकाश राव एक लम्बी पारी खेलने वाले निर्देशक है बॉलीवुड के।
उन्होंने ८० के दशक तक हिंदी, तमिल और तेलुगु में सफल फ़िल्में
बनायीं।
एक फिल्म है सन १९५८ की -सितमगर जिसमे निसार बज्मी का
संगीत है उसके निर्देशक प्रकाश राव थे। उसमे जैमिनी गणेशन और
पद्मिनी की प्रमुख भूमिकाएं हैं। प्रकाश राव ने अपने फ़िल्मी करियर में
कई संगीतकारों की सेवाएँ ली जिनमें सी. रामचंद्र, शंकर जयकिशन
और चित्रगुप्त के नाम प्रमुख हैं।
१९५८ में ही एक हिंदी फिल्म आई अमर दीप जिसमे देव आनंद और
वैजयान्तिमाला नायक नायिका हैं। पद्मिनी दूसरी नायिका हैं इस
फिल्म की जिनपर इस फिल्म का सबसे कर्णप्रिय गीत फिल्माया गया
है। गीत लता मंगेशकर की आवाज़ में है और इसके संगीतकार
सी. रामचंद्र हैं जिनका जादुई असर सन १९५८ में भी बरकरार है।
राजेंद्र कृष्ण के सरल बोलों को एक आकर्षक धुन पर तैराता ये गीत
गुनगुनाने में आसान है। गीत में नायिका के गीत से नायक कुछ
याद करने की कोशिश कर रहा है।
गीत के बोल:
आ आ आ, आ आ आ, आ आ, आ आ आ
मेरे मन का बावरा पंछी
क्यूँ बार बार डोले
मेरे मन का बावरा पंछी
क्यूँ बार बार डोले
अंखियों में आज किसका
राह राह के प्यार डोले
मेरे मन का बावरा पंछी
क्यूँ बार बार डोले
किस के ख्याल में ये
नज़रें झुकी झुकी हैं
किस के ख्याल में ये
नज़रें झुकी झुकी हैं
देखो इधर भी लब पर
आहें रुकी रुकी हैं
देखो इधर भी लब पर
आहें रुकी रुकी हैं
तुम हो करार जिस दिल का
तुम हो करार जिस दिल का
वही बेक़रार डोले
मेरे मन का बावरा पंछी
क्यूँ बार बार डोले
मेरे मन का बावरा पंछी
क्यूँ बार बार डोले
दिल को लगन है उसकी
मीठी नज़र है जिसकी
दिल को लगन है उसकी
मीठी नज़र है जिसकी
हम पास हैं तुम्हारे
फिर दिल में याद है किस की
हम पास हैं तुम्हारे
फिर दिल में याद है किस की
तुम जो नज़र मिलाओ
तुम जो नज़र मिलाओ
दिल में बहार डोले
मेरे मन का बावरा पंछी
क्यूँ बार बार डोले
मेरे मन का बावरा पंछी
क्यूँ बार बार डोले
कब से खड़े हुए हैं
कह दो तो लौट जाएँ
कब से खड़े हुए हैं
कह दो तो लौट जाएँ
तुम्हे दूर ही से देखें
हर दिन ना पास आये
तुम्हे दूर ही से देखें
हर दिन ना पास आये
आँखों में ज़िन्दगी भर तक
आँखों में ज़िन्दगी भर तक
तेरा इंतज़ार डोले
मेरे मन का बावरा पंछी
क्यूँ बार बार डोले
मेरे मन का बावरा पंछी
क्यूँ बार बार डोले
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