गोरे गोरे हाथों में मेहँदी-परिणीता १९५३
मधुर गीत हो तो गुड्डे गुडिया का खेल आनंददायक
बन जाता है। इस गीत को ही लीजिये जो सन १९५३ की
फिल्म परिणीता से है। भारत व्यास के गीत को संगीत
से संवारा है अरुण कुमार मुखर्जी ने। आशा भोंसले की
आवाज़ वाले इस गीत को फिल्माया गया है मीना कुमारी
पर। गीत में अशोक कुमार भी दिखलाई पड़ेंगे।
शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय के १९१३ में लिखे उपन्यास पर
आधारित फिल्म उपन्यास का ईमानदार फ़िल्मी रूपांतरण
कहा जा सकता है। इस फिल्म के लिए निर्देशक बिमल रॉय
और मीना कुमारी को क्रमशः सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और अभिनेत्री
के फिल्म फैयर पुरस्कार प्राप्त हुए।
गीत के बोल:
गोरे गोरे हाथों में मेहँदी रचा के
नैनों में कजरा डाल के
चलो दुल्हनिया पिया से मिलने
छोटा सा घूंघट निकाल के
छोटा सा घूंघट निकाल के
गोरे गोरे हाथों में मेहँदी रचा के
नैनों में कजरा डाल के
चलो दुल्हनिया पिया से मिलने
छोटा सा घूंघट निकाल के
छोटा सा घूंघट निकाल के
जा के अब ससुराल में रहना
सास ससुर की सेवा करना
जब तक बहे ना कुछ भी ना कहना
आंसू को रखना संभाल के
चलो दुल्हनिया पिया से मिलने
छोटा सा घूंघट निकाल के
छोटा सा घूंघट निकाल के
गोरे गोरे हाथों में मेहंदी रचा के
नैनों में कजरा डाल के
चलो दुल्हनिया पिया से मिलने
छोटा सा घूंघट निकाल के
छोटा सा घूंघट निकाल के
हो ओ ओ
हंसती रहोगी तुम प्रीतम के नाम से
प्रीतम के नाम से जी
प्रीतम के नाम से
थक के जो आये वो दिन भर के काम से
दिन भर के काम से जी
दिन भर के काम से
पंखा झलोगी
पंखा झलोगी तो सोये आराम से
सपनों में उनके धीरे से आना
मोती की लड़ियाँ डाल के
चलो दुल्हनिया पिया से मिलने
छोटा सा घूंघट निकाल के
छोटा सा घूंघट निकाल के
हो पिया के संग सखी मीठी मीठी बोलना
मीठी मीठी बोलना जी
मीठी मीठी बोलना
हो
नयन गोरी धीरे धीरे डोलना
धीरे धीरे डोलना जी
धीरे धीरे डोलना
गुस्सा करें वो जुबान नहीं खोलना
गुस्सा करें वो जुबान नहीं खोलना
मन के मंदिर में रखना
नैनों के दीपक उजाल के
चलो दुल्हनिया पिया से मिलने
छोटा सा घूंघट निकाल के
छोटा सा घूंघट निकाल के
गोरे गोरे हाथों में मेहँदी रचा के
नैनों में कजरा डाल के
चलो दुल्हनिया पिया से मिलने
छोटा सा घूंघट निकाल के
छोटा सा घूंघट निकाल के
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