Nov 5, 2010

दीप दीवाली के झूठे-जुगनू १९७३

एक और दीपावली गीत हाज़िर है। मैंने सोचा एक श्वेत श्याम युग
का हो गया तो एक रंगीन युग से भी होना चाहिए। ये सन १९७३ की
फिल्म जुगनू से है जिसे धर्मेन्द्र और महमूद पर फिल्माया गया है।
गीत लिखा है आनंद बक्षी ने और धुन बनाई है सचिन देव बर्मन ने।
गायक कलाकार को तो आप पहचान ही गए होंगे। पिछले गीत में
आतिशबाजी की कमी थी जो इसमें पूरी हो गई है।

संकल्पना अच्छी है इस गीत में। कोई भी त्यौहार अनाथालय के बच्चों
के संग मनाते हुए हिंदी फिल्म के हीरो को शायद एक आध ही फिल्म
में मैंने और देखा है।



गीत के बोल:

आ हा, हा हा, आ जा
रिम पा पा पा
रिम पा पा पा
रिम पा पा पा
रिम पा पा पा

ओ रुम पा पा पा
ओ रुम पा पा पा
ओ रुम पा पा पा
ओ रुम पा पा पा
ओ रुम पा पा पा
ओ रुम पा पा पा पा पा पा

छोटे छोटे नन्न्हें मुन्ने प्यारे प्यारे रे
बच्चे सच्चे जग के उजियारे रे
दीप दीवाले के झूठे, आ हा
रात चले सुबह टूटे

छोटे छोटे नन्हे मुन्ने प्याले प्याले रे
बच्चे सच्चे जग के उजियारे रे
दीप दीवाली के झूठे, आ हा
रात चले सुबह टूटे

इनके आगे, रंग फ्हीके
सब नज़र आते हैं
चाँद तारे, आ हा
इनसे ही सारे, आ हा
रौशनी पाते हैं
इनको देखें देख के झूमें
बाग़ की डाली डाली
फूल बहारों के झूठे, आ हा
आज खिले और कल टूटे

छोटे छोटे नन्हे मुन्ने प्यारे प्यारे रे
बच्चे सच्चे जग के उजियारे रे
दीप दीवाली के झूठे, आ हा

अरे वाह रे पांडू
साथ चलें सुबह छूटे

अक्कड़ बक्कड़ बम्बई बो
बिल्ली नंबर पूरे सौ
सौ में लग गया धागा
चोर निकाल कर भागा
चिड़िया खंडे रानी बोले
चाँय चीं चम् ,हा हा
हा हा हा हा हा हा
हा हा हा हा हा हा

ये हंसें तो हंस पड़ें सब
रोयें तो सब रोयें
इनकी खातिर हम आप जागें
चैन से ये सोयें
आदमी की, ज़िन्दगी का
ये है सच्चा सहारा
और सहारे सब झूठे, आ हा
आज मिलें और कल टूटे

छोटे छोटे नन्हे मुन्ने प्यारे प्यारे रे
बच्चे सच्चे जग के उजियारे रे
दीप दीवाली के झूठे
रात जले सुबह टूटे
दीप दीवाली के झूठे
रात जले सुबह टूटे

रिम पा पा पा
रिम पा पा पा
रिम पा पा पा
रिम पा पा पा
रिम पा पा पा
रिम पा पा पा, पा

रिम पा पा पा
रिम पा पा पा
रिम पा पा पा
रिम पा पा पा
रिम पा पा पा
रिम पा पा पा, पा

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