संसार है एक नदिया-रफ़्तार १९७५
दिलवाते हैं। दूर का राही फिल्म के गीत में जो कोरस
की ध्वनि है उसे सुनकर हमेश रफ़्तार फिल्म का गीत
दिमाग में आता है।
मदन पुरी को लोग खलनायक और चरित्र भूमिकाओं से
पहचानते हैं। खलनायकों के लिए स्वाभाविक तौर पर कोई
अच्छी भावनाएं नहीं होतीं दर्शकों के दिल में। मेरे साथ भी
ऐसा ही होता था पहले जब मुझे इनके बारे में जानकारी नहीं
हुआ करती थी। मैं भी आम दर्शक की तरह प्रतिक्रिया दिया
करता।
मदन पुरी को मैंने दो फिल्मों के बाद ढंग से पहचाना-'रफ़्तार'
और 'पूरब और पश्चिम'। दोनों फिल्मों में उन्होंने ढर्रे से हट
कर भूमिकाएं निभायीं हैं।
प्रस्तुत गीत मेरे सबसे पसंदीदा गीतों में शामिल है. इसे
अभिलाष ने लिखा है और इसकी धुन बनाई है सोनिक ओमी
ने। पंजाबी मूल के संगीतकार जोड़ी सोनिक ओमी के सर्वश्रेष्ठ
गीतों में आप इसे शामिल कर सकते हैं। राग शिवरंजिनी पर
आधारित इस गीत में गायक मुकेश ने अपना सब कुछ उड़ेल
दिया है । वैसे भी कौन सा ऐसा गीत है जिसमे मुकेश ने अपनी
आत्मा ना निचोड़ी हो। गीत में आशा भोंसले ने भी उनका साथ
दिया है उस हिस्से में जिसे परदे पर युवा मौसमी चटर्जी गा रही
हैं। ऐसे गंभीर गीत गाती युवा अभिनेत्रियाँ थोड़ी अजीब सी लगती
हैं।
गीत के बोल:
संसार है एक नदिया
दुःख सुख दो किनारे हैं
ना जाने कहाँ जाएँ हम
बहते धारे हैं
संसार है एक नदिया
दुःख सुख दो किनारे हैं
ना जाने कहाँ जाएँ हम
बहते धारे हैं
संसार है एक नदिया
चलते हुए जीवन की
रफ़्तार में एक ले है
चलते हुए जीवन की
रफ़्तार में एक लय है
एक राग में एक सुर में
संसार कि हर शय है
संसार कि हर शय है
एक ताल पे गर्दिश में
ये चाँद सितारे हैं
ना जाने कहाँ जाएँ
हम बहते धारे हैं
धरती पे अम्बर की
आँखों से बरसती हैं
इक रोज़ यही बूँदें,
फिर बादल बनती हैं
फिर बादल बनती हैं
इस बनने बिगड़ने के
दस्तूर में सारे हैं
ना जाने कहाँ जाएँ
हम बहते धारे हैं
कोई भी किसी के लिए,
अपना ना पराया है
कोई भी किसी के लिए,
अपना ना पराया है
रिश्तों के उजाले में,
हर आदमी साया है
हर आदमी साया है
कुदरत के भी देखो तो,
ये खेल निराले हैं
ना जाने कहाँ जाएँ
हम बहते धारे हैं
संसार है एक नदिया
है कौन वो दुनिया में,
ना पाप किया जिसने
है कौन वो दुनिया में,
ना पाप किया जिसने
बिन उलझे काँटों से,
हैं फूल चुने किसने
हैं फूल चुने किसने
बेदाग़ नहीं कोई,
यहाँ पापी सारे हैं
ना जाने कहाँ जाएँ
हम बहते धारे हैं
संसार है एक नदिया
दुःख सुख दो किनारे हैं
ना जाने कहाँ जाएँ
हम बहते धारे हैं
हम बहते धारे हैं
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Sansar hai ek nadiya-Raftaar 1975
Artists: Madan Puri, Mausami Chatterji
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