Nov 14, 2010

दुल्हन से तुम्हारा मिलन होगा-अनोखी रात १९६८

अभिलाषाएं बाल-सुलभ, युवा, प्रौढ़ एवं वृद्ध हो सकती
हैं। कुंवारों के मन में लड्डू कैसे फूटा करते हैं उसकी एक
बानगी देखिये फिल्म अनोखी रात के गीत में गीत जिसमे
कुंवारी-अभिलाषा मन के बाहर उछल पड़ी है और उबड़ खाबड़
रास्तों पर साईकिल पर सवार हो के बल खा रही है। । गीत
इन्दीवर का लिखा हुआ है जिनके लिखे और मुकेश के गाये
कई गीत फिल्म संगीत के खजाने में मौजूद हैं।

कुछ युवक युवतियों का ये हाल हो जाता है शादी का ख्याल
उनको खाते पीते, सोते, रोते और धोते समय भी दिमाग में
घूमता रहता है और ये अपने चरम पर पहुँचता है शादी वाले
दिन। वो उत्साह शादी के बाद धीरे धीरे ठंडा हो जाता है।

गीत फिल्माया गया है हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के एक प्रतिभा
संपन्न और समर्थ कलाकार संजीव कुमार पर। उन्होंने ऐसे
हाव भावों को समझाने का भरसक प्रयत्न किया है और उस
अजीब उतावलेपन को बखूबी चित्रित किया है। यही गीत किसी
और चम्पू कलाकार पर फिल्माया गया होता तो शायद
ऐसा लगता जैसे जमाल गोटा खाने के बाद वो फारिग होने की
गुज़ारिश कर रहा हो। जमाल गोटिये हीरो बहुत हैं इस फिल्म
इंडस्ट्री में जो फिल्म में ऐसे लगते हैं जैसे किसी सूटकेस में
जबरन ठूंसे हुए कपडे हों जो सूटकेस खोलते ही बाहर टपक
जाया करते हैं।

अनोखी रात संगीतकार रोशन की आखरी हिंदी फिल्म थी।
उनके असामयिक निधन के पश्चात् उनकी धर्मपत्नी ने
फिल्म का संगीत संगीत पूरा करवाया।




गीत के बोल:


दुल्हन से तुम्हारा मिलन होगा
ओ मन थोड़ी धीर धरो

बाहों में चांदी का बदन होगा
ओ मन थोड़ी धीर धरो

दुल्हन से तुम्हारा मिलन होगा
ओ मन थोड़ी धीर धरो

चाँद परी है चंचल है
वो तेरी है चितचोर

चाँद परी है चंचल है
वो तेरी है चितचोर

मुखड़े को ही तकते तकते
हो जाएगी भोर

ओ गोरी धन का तुम्हे दर्शन होगा
ओ मन थोड़ी धीर धरो

बाहों में चांदी का बदन होगा
ओ मन थोड़ी धीर धरो

ऐसी बेताबी है कैसी
पड़ी है सारी रात
ऐसी बेताबी है कैसी
पड़ी है सारी रात

जी भर भर के कर लेना तुम
कमसिनिया से बात

काँधे से झुका सा मन होगा
ओ मन थोड़ी धीर धरो

बाहों में चांदी का बदन होगा
ओ मन थोड़ी धीर धरो

वो है तेरी पद्मिनिया
और तू बांका रजपूत
वो है तेरी पद्मिनिया
और तू बांका रजपूत

गज भर की छाती रखता है
दिल भी रख मजबूत

नैनों नैनों में रंग होगा
ओ मन थोड़ी धीर धरो

बाहों में चांदी का बदन होगा
ओ मन थोड़ी धीर धरो

दुल्हन से तुम्हारा मिलन होगा
ओ मन थोड़ी धीर धरो
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Dulhan se tumhara milan hoga-Anokhi raat 1968

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