वो जो मिलते थे कभी-अकेली मत जइयो १९६३
उसके बाद प्रस्तुत गीत का आनंद लीजिये। कातिल गीत है ये। ये
मेरे शब्द नहीं उस व्यक्ति के हैं जिसने पहली बार इसको सुनकर
प्रतिक्रिया व्यक्त की। फिल्म 'अकेली मत जइयो' का एक गीत हमने
कुछ दिन पहले सुना जो आशा की आवाज़ में है।
अब सुनिए इसे जो लता की आवाज़ में है और इसी गीत से फिल्म
'अकेली मत जइयो' संगीत रसिकों द्वारा पहचानी जाती है। वैसे
आम आदमी ने ये गीत नहीं के बराबर सुना उसके हिस्से में तो
आशा का "थोड़ी देर के लिए मेरे हो जाओ" ही ज्यादा आया क्यूंकि
आशा के गीत की फरमाइश रेडियो पर कभी कभार आ जाया करती
थी। मदन मोहन को जनता के इसी स्वाभाव से शिकायत रही कि
जनता उनके द्वारा रची विशिष्ट रचनाएँ क्यूँ नहीं सुनती है। उसका
सीधा जवाब ये है-अगर संगीतकार अपनी पसंद और जनता क्या
चाहती है दोनों के बीच संतुलन कायम रख सकता है तो वो गुणवत्ता
और व्यवसाय दोनों पहलू से सफल है।
मैंने आपको "वो भूली दास्तान" सुनने के लिए इसलिए कहा था
क्यूंकि वो एक सफल गीत है-हर दृष्टि से। रही बात मिठास की तो
वो फिल्म 'अकेली मत जइयो' के प्रस्तुत गीत में ज्यादा है। इसको
सुनने के लिए धैर्य चाहिए जिसकी आवश्यकता फिल्म संजोग के
गीत में नहीं के बराबर होती है।
गीत के बोल:
वो जो मिलते थे कभी
वो जो मिलते थे कभी हमसे दीवानों की तरह
आज यूँ मिलते हैं जैसे कभी पहचान ना थी
वो जो हिलते थे कभी
देखते भी हैं तो यूँ मेरी निगाहों में कभी
अज्माबी जैसे मिला करते हैं राहों में कभी
इस कदर उनकी नज़र हमसे तो अनजान ना थी
वो जो मिलते थे कभी
एक दिन था कभी यूँ ही जो मचल जाते थे
खेलते थे मेरी जुल्फों से बहल जाते थे
वो परेशां थे मेरी ज़ुल्फ़ परेशां ना थी
वो जो मिलते थे कभी
वो मोहब्बत वो शरारत मुझे याद आती है
दिल में एक प्यार का तूफ़ान उठा जाती है
थी मगर ऐसी तो उलझन में मेरी जान ना थी
वो जो मिलते थे कभी हमसे दीवानों की तरह
आज यूँ मिलते हैं जैसे कभी पहचान ना थी
वो जो मिलते थे कभी
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Wo jo milte the kabhi-Akeli mat jaiyo 1963
Artist: Meena Kumari
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