अपना घर है स्वर्ग से सुन्दर-स्वर्ग से सुन्दर १९८६
इस पर मैं काफी सोचता हूँ। शायद मंगल ग्रह की सैर
पर कोई गीत नहीं बना है अभी तक।
जीव जंतुओं और पशु-पक्षियों पर हिंदी सिने-जगत
काफी मेहरबान रहा है, हालाँकि अभी भी 'Anaconda'
या 'Jurassic Park' जैसी क्लासिक फिल्म का इंतज़ार
है।
आज हो गीत हम आपको सुना रहे हैं वो मच्छरों को
समर्पित है। फिल्म का नाम है स्वर्ग से सुन्दर। इसके
निर्देशक हैं के. बापैया । नटखट गीत के लिए गायक भी
उपयुक्त चुने गये हैं-किशोर कुमार और आशा भोंसले ।
लिखा है आनंद बक्षी ने और इसे धुन से सजाया है
लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने।
मच्छर गाथा परदे पर गाने वाले कलाकार हैं जीतेंद्र
और जया प्रदा।
गीत के बोल:
हो, ओ ओ ओ ओ
अपना घर है स्वर्ग से सुन्दर, हो
अपना घर है स्वर्ग से सुन्दर
अरे स्वर्ग में आये कहाँ से आये मच्छर,
हाय
ये मच्छर
स्वर्ग में आये कहाँ से आये मच्छर
अरे मच्छर भी आशिक हैं तुम पर क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
अरे काट रहा है मुझको बिस्तर
अच्छा
ये बिस्तर
काट रहा है मुझको बिस्तर
अरे बिस्तर भी आशिक हैं तुम पर क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
अपना घर है स्वर्ग से सुन्दर
शादी से पहले की रातें
भूल गए तुम सारी बातें
हो ओ ओ ओ
शादी से पहले की रातें
भूल गए तुम सारी बातें
अरे नयी मोहब्बत हाय नयी जवानी
अरे नयी मोहब्बत नयी जवानी
हो गई अब हर चीज़ पुराणी
हो गई अब हर चीज़ पुराणी
याद वो दिन आते हैं अक्सर क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
अपना घर है स्वर्ग से सुन्दर
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ
ऊं हूँ
ना ना ना ना
आ हा आ, आ आ आ
ऊं हूँ, हो
प्यार में ये गुस्सा अच्छा है
पर बीच में ये तकिया क्यूँ रखा है
प्यार में ये गुस्सा अच्छा है
पर बीच में ये तकिया क्यूँ रखा है
बात है लम्बी रात है थोड़ी
किसने बनाई थी ये जोड़ी
मैं हूँ शीशा तुम हो पत्थर क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
अपना घर है स्वर्ग से सुन्दर
जो होता है वो होने दो
जो होता है वो होने दो
मुझको थोडा सा सोने दो
घर आते ही आ गई निंदिया
काहे लगायी मैंने बिंदिया
घर आते ही आ गई निंदिया
काहे लगायी मैंने बिंदिया
बैठी रह गई मैं सज धज कर क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
अपना घर है स्वर्ग से सुन्दर
स्वर्ग में आये कहाँ से आये मच्छर
ये मच्छर
स्वर्ग में आये कहाँ से आये मच्छर
अरे मच्छर भी आशिक हैं तुम पर क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
हाय मैं क्या करूं
अपना घर है स्वर्ग से सुन्दर
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Apna ghar hai swarg se sunder-Swarg se sunder 1986
2 comments:
इसको किसी मच्छर छाप कछुआ भगाने वाली अगरबत्ती
की कंपनी के विज्ञापन में अभी तक उजागर हो जाना था.
हा हा
मच्छर को आप नए सुनाओ चाहे पुराने गाने, वे नहीं भागते.
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