Feb 1, 2011

सजना का कंगना-सितारा १९८०

हम में से कई एक ने पुराने ज़माने का चाबी वाला भोंपू या
ग्रामोफोन नहीं देखा होगा। नई पीढ़ी तो लगभग इसके स्वाद
से अछूती है। गाँव में एक फिल्म आई है उसका प्रचार हो रहा
है। पहले के समय में फिल्म का प्रचार तांगे, रिक्शे या बैलगाड़ी
के ज़रिये भी होता था। उसमे एक माइक होता जिसे लगभग
मुंह में डाल के उदघोषक कुछ अस्पष्ट से तो कुछ अति-अस्पष्ट से
शब्दों का उच्चारण करता हुआ अपना गला साफ़ करता। जो
चीज़ साफ़ सुनाई देती वो थी ग्रामोफोन से निकलने वाली ध्वनि।
कुछ लग चुकी फिल्मों के एल पी या ई पी रिकॉर्ड बजाये जाते।
गीत मनोरंजक है, इसमें महिला और पुरुष उदघोषक फुर्सत के
क्षणों में रिकॉर्ड बजा कर उसपर नृत्य और अभिनय कर रहे हैं।
जैसे ही ग्रामोफोन कि चाबी ख़त्म होने लगती है वो टें बोल जाता
है, उस प्रभाव को बड़े प्रभावी ढंग से बतलाया गया है। सिनेमा के
उन कुछ क्षणों में से एक जो वास्तविकता के सबसे करीब हैं। इसके
अलावा एक और पहलू से आप वाकिफ होंगे रिकॉर्ड के घिस जाने पर
सुई अटकना भी शुरू हो जाती है और एक ही शब्द को आपको रटने
की कोशिश करने लगती है तब उसे हलके से धक्के से आगे बढ़ाना
पढता था। ऐसी ऐसी विकट स्तिथियों में मैंने ग्रामोफोन बजते
सुने हैं कि आप सुन कर चकित रह जायेंगे वे किस्से। एक बार तो
रेगिस्तानी मेले में ऊँट की पीठ पर रख कर बजाया जा रहा था
ग्रामोफोने। ऊँट को २-४ गाने के बाद जाने क्या सूझी उसने एक
ज़ोरदार अंगडाई ली और ग्रामोफोन चारों खाने चित हो कर गिरा
मरा फ़ोन में तब्दील हो गया । वो बैटरी की सहायता से बजाया जाने
वाला रिकॉर्ड प्लयेर था ।

गौरतलब है कि इसमें नायक और नायिका हेमा मालिनी और राजेश
खान्नाका नाम लेते हैं। फिल्म सिनेमा के इतिहास में फ़िल्मी गीतों
की जीवन्तता के बारे में बात की जाये तो ये दोनों कलाकार दूसरों
पर भरी पढ़ते हैं। ज़रूरी नहीं की हिट गीत रोचक हो या रोचक गीत
बड़ा हिट हो जाये। इस गीत के मामले में भी कुछ ऐसा ही है।
लेखनी एक बार फिर गुलज़ार की है और संगीतमय प्रयोगधर्मिता
राहुल देव बर्मन की। पिछले गीत में भूपेंद्र के साथ लता गा रहीं थीं
तो इस गीत में उनका साथ दिया है आशा भोंसले ने।

गीत में हास्य का पुट भी है। नायिका अति उत्साह में उछलती कूदती
गोबर के ढेर में पांव डाल कर फिसल पढ़ती है। नायक ने धोती यूँ बांध
रखी है मानो धोती के कपडे का कोई पतलून सिलवा के पहना हो।

म्यूजिकल मिस्फॉयरिंग भी है इस गीत में। कल्पना करें कि पुरुष आवाज़
नायिका के लिए और महिला आवाज़ नायक के लिए। गीत को आप
सिनेमा इतिहास के सबसे मनोरंजक गीतों में शामिल कर लीजिये।



गीत के बोल:

सजना का कंगना
हो कंगना में हीरा
हो सजना का कंगना
कंगना में हीरा
हीरा मैं खाई के मरूं एक बार,
के दुई बार, के तीन बार, के कै बार मरूं

अरे सजनी का कंगना
कंगना में हीरा
हीरा मैं खाई के मरूं एक बार,
के दुई बार, के तीन बार, के कै बार मरूं

एक तो तेरी ऑंखें बिल्लौरी
ऑंखें जैसे दो हीरों की चोरी
एक तो तेरी ऑंखें बिल्लौरी
ऑंखें जैसे दो हीरों की चोरी
हो हीरे पे, हीरे पे, हीरे पे......

सजना का कंगना
कंगना में हीरा

हो हीरे पे हीरा मैं खाई के मरूं
एक बार, के दुई बार, के तीन बार,
के कै बार मरूं

सजना का कंगना
कंगना में हीरा
हीरा मैं खाई के मरूं एक बार,
के दुई बार, के तीन बार, के कै बार मरूं

एक तो पड़े लोगों की नज़र ना
दूजे तेरी गली से गुज़ारना
हो ओ ओ ओ, एक तो पड़े लोगों की नज़र ना
दूजे तेरी गली से गुज़ारना
बच बच के रुकना कभी चलना
एक बार, के दुई बार, के तीन बार,
के कै बार बचूं

हे सजनी का कंगना
कंगना में हीरा
हीरा मैं खाई के मरूं एक बार,
के दुई बार, के तीन बार, के कै बार मरूं


एक तो तेरी पायल ऊंची बोले
दूजे गोरी घूंघट में ना बोले
एक तो तेरी पायल ऊंची बोले
दूजे गोरी घूंघट में ना बोले

मलमल के घूंघट में गोरी जले
एक बार के दुई बार के तीन बार
के कै बार जले

सजना का कंगना
कंगना में हीरा
हीरा मैं खाई के मरूं एक बार,
के दुई बार, के तीन बार, के कै बार मरूं
...................................
Sajna ka kangna-Sitara 1980

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