मेरे सुख दुःख का संसार-फरेब १९५३
ने अभिनय किया है. किशोर कुमार को “रूप तेरा मस्ताना “
जैसे गीतों के बाद पहचानने वालों के लिए ये एक अचम्भा
हो सकता है. देखिये आज ये पुराना गीत और आनंद उठायें
इसका. गीत धीमा और कर्णप्रिय है और जूने पुराने संगीत
प्रेमी इसे काफी पसंद करते हैं. मैं भी कभी कभी इसे सुन
लिया करता हूँ.
गीत मजरूह सुल्तानपुरी की देन है और संगीत अनिल बिश्वास
की मेहरबानी
गीत के बोल:
मेरे, सुख दुःख का संसार
तेरे दो नैनन में
मेरे, सुख दुःख का संसार
तेरे दो नैनन में
इकरार कभी इनकार
इकरार कभी इनकार
तेरे दो नैनन में,
दो नैनन में, सुख दुःख का संसार
मेरे सुख दुःख का संसार
तेरे दो नैनन में
कोई सीखे इनसे सितम ढाना
हो, सितम ढाना
कोई सीखे,
कोई सीखे इनसे सितम ढाना
झुक झुक के, कुछ कुछ फरमाना
फिर उठ कर साफ़ मुकर जाना
झुक झुक के
झुक झुक के, कुछ कुछ फरमाना
फिर उठ कर साफ़ मुकर जाना
कभी प्यार,
कभी प्यार कभी तकरार
तेरे दो नैनन में
दो नैनन में, सुख दुःख का संसार
मेरे, सुख दुःख का संसार
तेरे दो नैनन में
यही दोस्त यही दुश्मन जैसे
हो, दुश्मन जैसे
यही दोस्त
यही दोस्त यही दुश्मन जैसे
पल में कांटे की चुभन जैसे
पल में खिल जाए चमन जैसे
पल में
पल में कांटे की चुभन जैसे
पल में खिल जाए चमन जैसे
कभी खार
कभी खार कभी गुलज़ार
तेरे दो नैनन में
दो नैनन में सुख दुःख का संसार
तेरे दो नैनन में
मेरे, सुख दुःख का संसार
तेरे दो नैनन में
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Mere sukh dukh ka sansaar-Fareb 1953
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