कभी कभी मेरे दिल में-कभी कभी १९७६
दिनों. सबकी नज़रें ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड पर
टिकी हैं. क्यूँ न हो, हमारी टीम ने ६ के ६ मैच जीत
लिया है ग्रुप के. उम्मीद है इस बार भी हमारी टीम
का ले आएगी. कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है
की इसमें तेंदुलकर होता तो ऐसा होता , काश इसमें
सहवाग होता तो वैसा होता, गंभीर भी होता. युवराज
नहीं दिखाई दे रहा. समय का फेर है. इनकी कमी अब
शायद दर्शकों को भी महसूस नहीं हो रही होगी.
चाय का कप हाथ में लेते हुए आज ये गीत याद आ
गया. फिल्म कभी कभी का शीर्षक गीत जिसने सफलता
और लोकप्रियता के नए आयाम रचे. गीत को १९७७ के
सर्वश्रेष्ठ गायक, सर्वश्रेष्ठ गीतकार और फिल्म को सर्वश्रेष्ठ
संगीतकार के पुरस्कार मिले. रफ़ी और मुकेश वाले दौर
में मुकेश को फिल्मफेयर पुरस्कार मिलना अचम्भे से
कम नहीं. वैसे तो मुकेश को शंकर जयकिशन वाली दो
फिल्मों के लिए-पहचान(१९७१) और बेईमान(१९७३) के
लिए प्राप्त हो चुका था. पहचान और बेईमान के लिए तो
मैं कह नहीं सकता मगर कभी कभी के गीतों के लिए
उन्हें पुरस्कार मिलना तय ही था. इस फिल्म की गायकी
ने मधुर और सारगर्भित गीतों के लिए नए रास्ते खोले.
संगीतकार मोहम्मद ज़हूर "खय्याम" हाशमी जो लगभग
सेमी-रिटायरमेंट वाली स्तिथि में थे इस फिल्म के पहले
तक, उनको भी फिर से काम मिलना शुरू हो गया और
उन्होंने इस फिल्म के बाद कई अविस्मरणीय धुनें और
बनायीं.
फिल्म का विषय जैसा कि कहीं मैंने पढ़ा-यश चोपड़ा के
दिमाग में साहिर की कविता पढते-पढते आया था. इसके
पहले यश चोपड़ा साहिर के साथ दीवार में काम कर चुके
थे. दीवार में आर डी का संगीत था. कभी कभी के लिए
उन्होंने खय्याम को क्यूँ चुना ये शायद आर. डी. के डाई
हार्ड फैन्स को ही मालूम होगा
गीत के बोल:
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिये
तू अब से पहले सितारों में बस रही थी कहीं
तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिये
कभी कभी मेरे दिल में
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के ये बदन, ये निगाहें मेरी अमानत हैं
ये गेसुओं की घनी छाँव है मेरी ख़ातिर
ये होंठ और ये बाहें मेरी अमानत हैं
कभी कभी मेरे दिल में
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के जैसे बजती हैं शहनाइयां सी राहों में
सुहाग रात है, घूँघट उठा रहा हूँ मैं
सिमट रही है, तू शरमा के अपनी बाहों में
कभी कभी मेरे दिल में
कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
के जैसे तू मुझे चाहेगी उम्र भर यूँ ही
उठेगी मेरी तरफ़ प्यार की नज़र यूँ ही
मैं जानता हूँ के तू ग़ैर है, मगर यूँ ही
कभी कभी मेरे दिल में
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Kabhi kabhi mere dil mein(Title)-Kabhi Kabhi
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