दो पल रुका-वीर ज़ारा २००४
का मतलब कुछ भी हो सकता है. प्रस्तुत गीत ने मेरा
ध्यान आकृष्ट किया कुछ शब्दों “तुम थे” के प्रयोग की
वजह से. यह गीत है फिल्म वीर ज़ारा से, जिसे शायर
जावेद अख्तर साहब ने लिखा है.
सोनू निगम की खुशकिस्मती है उन्हें लता मंगेशकर के
साथ कुछ गीत गाने का मौका मिला. लता मंगेशकर ने
९३-९४ के बाद गीत गाना बहुत कम कर दिया था, नहीं
के बराबर कह सकते हैं. केवल कुछ विशेष आग्रह पर
उन्होंने कुछ गीत गाये, जैसे इक्का दुक्का रहमान के लिए.
ये धुनें मदन मोहन की हैं, अतः उनका गाना तो ज़रूरी
था ही, उसके अलावा फिल्म यश चोपड़ा की है.
अब इस गीत को सुना और देखा जाए. इस ब्लॉग पर ये
इस फिल्म से चौथा गीत है.
गीत के बोल:
दो पल रुका, ख्वाबों का कारवाँ
और फिर, चल दिए, तुम कहाँ, हम कहाँ
दो पल की थी, ये दिलों की दास्ताँ
और फिर, चल दिए, तुम कहाँ, हम कहाँ
तुम थे के थी कोई उजली किरण
तुम थे या कोई कली मुस्काई थी
तुम थे या सपनों का था सावन
तुम थे के खुशियों की घटा छाई थी
तुम थे के था कोई फूल खिला
तुम थे या मिला था मुझे नया जहां
दो पल रुका, ख्वाबों का कारवाँ
तुम थे या खुशबू हवाओं में थी
तुम थे या रंग सारी दिशाओं में थे
तुम थे या रोशनी राहों में थी
तुम थे या गीत गूँजे फ़िज़ाओं में थे
तुम थे मिले या मिली मंज़िलें
तुम थे के था जादू भरा कोई समां
दो पल रुका, ख्वाबों का कारवाँ
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Do pal ruka-Veer Zaara 2004

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